पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाना आरोप नहीं, पति को किया बरी : HC ने खारिज की महिला की याचिका। - Jai Bharat Express

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पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाना आरोप नहीं, पति को किया बरी : HC ने खारिज की महिला की याचिका।

महिला के पति को इंदौर की एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन कृत्य के आरोप से तीन फरवरी 2024 को बरी कर दिया था. महिला ने आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत लगाया गया था. महिला ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी।




हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोप से एक पति को बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं है।




MP - इंदौर |मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने के आरोप में पति को बरी कर दिया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखते हुए आरोपी को बरी किया है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा हैं भारत में वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं है. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद पत्नी की पुनरीक्षण याचिका को खारिज किया,हाईकोर्ट ने कहा कि समान लिंग या अलग-अलग लिंग के दो व्यक्तियों के बीच दोनों पक्षों की सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध बनता है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध नहीं होगा।


हाईकोर्ट पहुंची थी पत्नी



जानकारी के अनुसार, महिला के पति को इंदौर की एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन कृत्य के आरोप से तीन फरवरी 2024 को बरी कर दिया था. महिला ने आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत लगाया गया था. महिला ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी।



वैवाहिक संबंध अपराध नहीं


महिला के पति के वकील ने उच्च न्यायालय में बहस के दौरान यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत 'बलात्कार' की संशोधित परिभाषा के अनुसार वैवाहिक संबंध बरकरार रहने के दौरान पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाता है.


वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं



दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा कि  IPC की धारा 375 के तहत बलात्कार की संशोधित परिभाषा का उल्लेख किया. न्यायालय ने यह भी कहा कि आज तक आईपीसी के तहत वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं दी गई. कोर्ट ने कहा कि यदि एक पत्नी वैध विवाह के दौरान अपने पति के साथ रह रही है तो किसी पुरुष द्वारा पंद्रह वर्ष से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ कोई भी सेक्स बलात्कार नहीं होगा। यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के दायरे में नहीं आता है।


याचिकाकर्ता पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके साथ क्रूरता की गई, दहेज की मांग की गई और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए गए. इस प्रकार IPC की धारा 498-ए (क्रूरता), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 294 (अश्लील कृत्य और गीत) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 (दहेज देने या लेने के लिए दंड) के साथ धारा 4 (दहेज मांगने के लिए दंड) के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए एक FIR दर्ज की गई है।