पूर्व सी.एच.एम.ओ. डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. रत्नेश कुररिया, कौस्तुभ वर्मा के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद न्यायालय द्वारा ग्रहण किया गया - Jai Bharat Express

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पूर्व सी.एच.एम.ओ. डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. रत्नेश कुररिया, कौस्तुभ वर्मा के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद न्यायालय द्वारा ग्रहण किया गया

पूर्व सी.एच.एम.ओ. डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. रत्नेश कुररिया, कौस्तुभ वर्मा संचालक सुखसागर अस्पताल तिलवारा के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद न्यायालय द्वारा ग्रहण किया गया।




प्राईवेट अस्पताल सुखसागर सी.एच.एम.ओ.डॉ. मनीष मिश्रा व डॉ. रत्नेश कुररिया के अधिकार क्षेत्र में नहीं था बावजूद उसके अनावेदकगणों के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर अस्पताल का अधिग्रहण का राशि का गबन किया गया।


जबलपुर - MP |जबलपुर में मलाईदार पोस्ट पर रहते हुए इन दोनों अधिकारियों ने अपना दबदबा बनाए रखा सूत्र बताते है की यही दो अधिकारी शिवराज सरकार में एक दूसरे की जगह कई बार अदला बदली पर स्थिर रहे,इनके खिलाफ पहले भी कई शिकायतें मिली और खबरें लगती रहीं मगर सैटिंग तगड़ी भिड़ा कर चिपके रहे सइंया भए कोतवाल तो डर काहे का... जब सिर पर हांथ प्रदेश के बड़े नेता और मुखिया का हो तो शायद खबरों को दरकिनार कर ढांक के तीन पांत वाली कहावत एकदम सटीक बैठती है, अब इन अधिकारियों को सबक सिखाने अधिवक्ताओं ने मोर्चा संभाला है,और इनकी काली करतूत पर पड़ा परदा हटाया है।आपको बता दें की माननीय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जबलपुर में आवेदक एडवोकेट धीरज कुकरेजा एवं एडवोकेट स्वप्निल सराफ द्वारा जबलपुर में सी.एच.एम.ओ. डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. रत्नेश कुररिया द्वारा पद पर रहते हुये कौस्तुभ वर्मा संचालक सुखसागर अस्पताल तिलवारा से सांठ गांठ कर उनकी अस्पताल के 250-300 बेडों को अधिग्रहीत करने हेतु अनुज्ञप्ति पत्र जारी किया गया जो कि पूर्ण रूप से अनुचित था क्योंकि जबलपुर में इतने सारे अस्पताल होने के बावजूद पूर्व सी.एच.एम.ओ.डॉ. मनीष मिश्रा द्वारा मात्र एक अस्पताल हेतु अनुज्ञप्ति जारी की गई थी।




बता दें की दिनांक 28/12/2020 को कोविड केयर सेंटर सुखसागर द्वारा भुगतान के लिये बिल प्रस्तुत किया गया जिसमें सुखसागर अस्पताल के द्वारा भुगतान की लगभग राशि 4,97,40,000/- दर्शाई गई है जिसमें से 79,75,000/- का भुगतान पूर्व सी.एच.एम.ओ.डॉ. मनीष मिश्रा एवं डॉ. रत्नेश कुररिया के द्वारा किया जा चुका है, एवं शेष राशि का भुगतान प्रति बिस्तर या कुल बिस्तर के मान से किया जाना शेष है जिसके लिये कार्यालय कलेक्टर जबलपुर के पत्र कमांक/2571/एम.डब्ल्यू./2021 जबलपुर दिनांक 15/04/2021 के अनुसार सुख सागर मेडीकल कॉलेज (प्राईवेट) के शेष भुगतान के निर्णय के लिये कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा, वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. रत्नेश कुररिया, मनोरोग विशेषज्ञ, सुश्री मेघा पवार डिप्टी कलेक्टर जबलपुर को नियुक्त किया गया।




बता दें की उक्त संबंध में पूर्व सी.एच.एम.ओ.डॉ. मनीष मिश्रा एवं रत्नेश कुररिया के द्वारा अपने अपने अभिमत में सुखसागर अस्पताल को राशि के भुगतान हेतु एक मतेन अपनी सहमति दी गई थी लेकिन उक्त संबंध में समिति की मेघा पवार, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर के द्वारा अपने अभिमत में यह दर्शित किया है कि मजिस्ट्रियल अधिकार एवं प्राईवेट अस्पताल में मरीजों को उपचार हेतु रखने हेतु प्राईवेट अस्पताल का अधिग्रहण एम.ओ.यू. किया जाना पृथक पृथक मुद्दे हैं ऐसी स्थिति में प्राईवेट अस्पताल का अधिग्रहण / एम.ओ.यू. किया जाना पूर्व सी.एच.एम.ओ.डॉ. मनीष मिश्रा व डॉ. रत्नेश कुररिया के अधिकार क्षेत्र में नहीं था उसके बावजूद अनावेदकगणों के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर अस्पताल का अधिग्रहण का राशि का गबन किया गया।




बता दें की उक्त संबंध में समिति की मेघा पवार, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर के द्वारा अपनी आर्डर शीट में यह भी अंकित किया है कि एम.ओ.यू. के अवलोकन में पाया कि एम.ओ.यू. पर केवल प्राईवेट अस्पताल के संचालक के हस्ताक्षर है एवं पूर्व सी.एच.एम.ओ.डॉ.मनीष मिश्रा के हस्ताक्षर नहीं है ऐसी स्थिति में एम.ओ.यू. किया जाना प्रमाणित नहीं होता है, प्राईवेट अस्पताल सुखसागर मेडीकल कॉलेज द्वारा प्रस्तुत देयक वित्तीय नियमों एवं सिद्धांतो का पालन करते हुये अनुशंसित नहीं किया जा सकता है इसके अतिरिक्त एम.ओ.यू. किये जाने की पुष्टि आपदा प्रबंधन समिति द्वारा कराया जाना अतिआवश्यक है जो कि नहीं कराया गया। प्रारंभ से ही अधिकारिता विहीन एम.ओ.यू. किया गया है उसके बावजूद भी पूर्व सी.एच.एम. ओ.डॉ. मनीष मिश्रा एवं डॉ. रत्नेश कुररिया के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर राशि का गबन करने की नियत से अपना अभिमत सुखसागर प्राईवेट अस्पताल के पक्ष में देकर शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई जाकर स्वयं उक्त राशि का गबन हेतु वित्तीय अनियमितता की गई है।




इस संबंध में आवेदक अधिवक्ता धीरज कुकरेजा एवं अधिवक्ता स्वप्निल सराफ के द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष परिवाद पत्र अंतर्गत धारा 223 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 वास्ते अनावेदक के विरूद्ध धारा 49, 61, 111(1), 111(2) (ख), 111(3) भारतीय न्याय संहिता 2023 एवं 7 (ग), 75, 12, 15, 13 (1) (बी) एवं 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 मय दस्तावेजी साक्ष्य जिसे आवेदकगणों के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न शासकीय कार्यालयों से प्राप्त किये गए हैं, और उन दस्तावेजों के साक्ष्य सहित प्रस्तुत किया गये  जिस पर न्यायालय द्वारा दस्तावेजों का अवलोकन कर एवं आवेदकगणों के अधिवक्ता श्री वासिफ खान के तर्को को श्रवण करने के उपरांत प्रकरण की प्रचलनाशीतला पाये जाने पर प्रकरण दिनांक 20/08/2024 को नियत किया गया।