दरअसल एमपी सरकार पर कर्ज के संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। बता दें की ये नई सरकार का पहला ऋण है, इसके अलावा प्रदेश सरकार पर पहले से ही कर्ज है।
MP -भोपाल |मध्य प्रदेश की नई सरकार के मुखिया डॉ. मोहन यादव के सामने वित्तीय स्थिति से जूझना एक बड़ा चैलेंज है.... वजह है की MP के पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार मोहन सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज का भार छोड़कर गई है, इसलिए MP सरकार ने फिर 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया है। मोहन यादव सरकार ने 16 साल के टेन्योर पर 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया है।
मोहन सरकार ने पहली बार लिया कर्ज
मोहन यादव की नई सरकार ने पहली बार कर्ज लिया है। इसे लेकर वित्त विभाग ने अधिसूचना भी जारी की थी। वित्त विभाग ने कर्ज के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को विलिंगनेस लेटर लिखा था।
नई सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज
मध्यप्रदेश की पूर्व की शिवराज सिंह चौहान की सरकार, मोहन सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज का भार छोड़कर गई है. स्थिति यह है कि राज्य सरकार को सरकारी कामकाज चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है. राज्य शासन पिछले 7 माह के दौरान 25 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज बाजार से उठा चुकी है. राज्य सरकार ने चुनाव के पहले सितंबर माह में ही 12 हजार करोड़ का कर्ज लिया था. यही नहीं आचार संहिता के दौरान भी अक्टूबर और नंवबर माह में कर्ज लिया गया. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर सरकार दो हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है।
आय से 54 हजार करोड़ अधिक है खर्च
मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले बजट में अपनी आय 2.25 लाख करोड़ रुपए दिखाई थी, जबकि सरकार के खर्चे आय से 54 हजार करोड़ रुपए अधिक है. राज्य सरकार द्वारा चुनाव के पहले लॉच की गई लाड़ली बहना सहित लोक लुभावन योजनाओं ने सरकार के कर्ज के बोझ को और बढ़ा दिया है. लाड़ली बहना योजना पर 2023-24 में ही 10 हजार 166 करोड़ रुपए का खर्च किया गया. इस योजना से अगले चार सालों में करीबन 50 हजार करोड़ का बजट भार आएगा. नई योजनाओं से सरकार पर हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है. देखा जाए तो सरकार का प्रतिमाह खर्च जून माह के बाद से 2 हजार और बढ़कर 22 हजार करोड़ प्रतिमाह पहुंच गया है।