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आज नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ पूजा का पर्व, हिन्दू धर्म में छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार 20 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा समापन

लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत आज  यानी 17 नवंबर को नहाय-खाय से हो रही है,18 को खरना,19 को निर्जल उपवास के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और 20 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा।





Chhath Puja 2023 : हिन्दू धर्म में छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है. यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है,लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत आज  यानी 17 नवंबर को नहाय-खाय से हो रही है। 18 को खरना, 19 को निर्जल उपवास के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और 20 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा। भैया दूज के तीसरे ‌दिन छठ पर्व मनाया जाता है।सूर्य षष्ठी व्रत वर्ष में दो बार कार्तिक और चैत्र महीने में होता है। इनमें कार्तिक का छठ पर्व बहुत खास है। छठ पूजा पर्व में व्रत, उपवास, उपासना पूजा, अर्घ्य, उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।छठ पर्व के दौरान निर्मित भोजन व प्रसाद में लहसुन, प्याज आदि वर्जित होते हैं।छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है. यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस पर्व में आस्था रखने वाले लोग सालभर इसका इंतजार करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु के लिए किया जाता है।


नहाय खाए से शुरू होता है पर्व : नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत होती है। इस दिन महिलाएं समीप के नदी या तालाब पर जाकर स्नान करती है और उसके बाद घर पर आकर कद्दू और चावल पकाती हैं। इसे कद्दू भात कहते हैं। छठ पर्व का दूसर दिन खरना है। इस दिन व्रती महिलाएं उपवास करेंगी। शाम को पूजा करने के बाद व्रत का पारण करेंगी। तीसरे दिन महिलाएं निर्जल उपवास रखती हैं। महिलाएं सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान करती है। पर्व के चौथे दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर पारण किया जाता है और माता षष्ठी देवी को विदा किया जाता है।


छठ का पहला दिन-नहाय खाय


1 छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय का होता है. इस दिन व्रती महिलाएं प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ या नए वस्त्र धारण करती हैं।

2 इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करने के बाद सात्विक भोजन करती हैं।

3 नहाय खाय का खाना बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाता है।

4 इस दिन कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात यानी चावन खाया जाता है।

5 नहाय खाय के दिन बनाया गया खाना सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को परोसा जाता है. इसके बाद ही परिवार के लोग भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

6 नहाय खाय के दिन भूलकर भी लहसुन और प्याज का सेवन न करें, वरना आपका व्रत टूट भी सकता है।

7 परिवार के सदस्यों को भी इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए।


अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त


छठ पर्व के तीसरे दिन शाम 5 बजकर 22 मिनट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चौथे दिन 20 नवंबर को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद सूपों में रखा सामान भगवान सूर्य और माता षष्ठी देवी को अर्पित किया जाता है।




छठ पर्व का महत्व

छठ पूजा का यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है. इसमें 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है. छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं. इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।