लोक अदालत में विशेष रूप से आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम वाद, बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाएं, पारिवारिक वाद, श्रम वाद, राजस्व वाद, अन्य सिविल वाद(किराया, सुखाधिकार, व्ययादेश, विशिष्ट अनुतोष वाद) एवं आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित हो सकने वाले समस्त प्रकार के वादों का निस्तारण किया जाएगा।
MP -जबलुपर |राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं मुख्य न्यायाधिपति, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति श्री रवि मलिमठ तथा न्यायमूर्ति श्री शील नागु, कार्यपालक अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के मार्गदर्शन में प्रदेश में शनिवार 9 सितंबर को उच्च न्यायालय स्तर से लेकर जिला न्यायालयों, तालुका न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, कुटुम्ब न्यायालयों तथा अन्य न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जायेगा है। नेशनल लोक अदालत में न्यायालयीन लंबित, दीवानी एवं आपराधिक शमनीय मामलों एवं बैंक, विद्युत, श्रम, जलकर, संपत्तिकर आदि प्री-लिटिगेशन प्रकरणों सहित सभी प्रकार के राजीनामा योग्य मामले निराकरण हेतु रखे जायेगें।
मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार शनिवार को आयोजित की जा रही नेशनल लोक अदालत में उच्च न्यायालय की तीनों पीठ में कुल 17 खंडपीठ एवं जिला एवं तहसील न्यायालयों में 1329 खंडपीठ का गठन किया गया है। इस प्रकार संपूर्ण मध्यप्रदेश में कुल 1346 खण्डपीठों का गठन किया जाकर लगभग 1 लाख 88 हजार से अधिक लंबित प्रकरणों तथा 3.50 लाख से अधिक प्री-लिटिगेशन प्रकरणों को लोक अदालत हेतु रैफर्ड किया गया हैं।
अतिरिक्त सचिव श्री सिंह ने बताया कि नेशनल लोक अदालत में विद्युतअधिनियम के लंबित एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों तथा म.प्र. नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत अधिरोपित संपत्ति कर एवं जलकर के प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को नियमानुसार विभिन्न छूट प्रदान की जा रही है। उन्होनें बताया कि नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण पर कोर्ट फीस पक्षकार को वापसी योग्य होती है। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की जीत होती है, किसी भी पक्ष की हार नहीं होती है।लोक अदालत में दोनों पक्षों की सहमति से मामला रखा जाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में विवाद का निराकरण किया जाता है, जिससे पक्षकारों के अमूल्य समय तथा व्यय होने वाले धन की बचत होती है तथा पक्षकारों में परस्पर स्नेह भी बना रहता है। लोक अदालत में मामला अंतिम रूपसे निराकृत होता है, इसके आदेश की कोई अपील अथवा रिवीजन नहीं होती है।
मध्यप्रदेश विधिक सेवा प्राधिकारण के अतिरिक्त सचिव ने कहा है कि ऐसे इच्छुक पक्षकारगण जो न्यायालय में लंबित एवं मुकदमेबाजी के पूर्व (प्रिलिटिगेशन प्रकरण) उपरोक्त प्रकार के चिन्हित किये गये प्रकरणों एवं विवादों का उचित समाधान कर आपसी सहमति से लोक अदालत में निराकरणकराना चाहते है वे संबंधित न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क करें, ताकि मामला नेशनल लोक अदालत में विचार में लेकर निराकृत किया जा सके।