चंद्रयान-3 ने भेजी एक और खूबसूरत तस्वीर, चांद को इतने करीब से कभी नहीं देखा होगा आपने,चंद्रयान-3 चांद के करीब बढ़ता जा रहा है. इसरो इससे जुड़ा हर अपडेट दे रहा है. इसने शुक्रवार को एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें चांद दिख रहा है. ये वीडियो लैंडर के कैमरे ने कैप्चर किया है. 15 अगस्त को ये वीडियो रिकॉर्ड किया गया।
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नई दिल्ली | दुनिया भर की नजरें भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर लगी हुई हैं. अमेरिका, रूस, यूरोपीय देश, चीन, जापान सहित कई देश भारत और इसरो की तरफ देख रहे हैं. इस बीच चंद्रयान-3 ने एक और चांद व पृथ्वी की तस्वीर भेजा है. भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ताजा तस्वीरें शेयर की हैं।भारत के मिशन मून चंद्रयान-3 ने शुक्रवार को चांद का एक वीडियो भेजा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने इस वीडियो को ट्वीट किया है. इसे 15 अगस्त को कैप्चर किया गया था. वीडियो में चांद पर मौजूद गड्ढे दिख रहे हैं. इसरो ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, लैंडर के कैमरे ने वीडियो भेजा है. लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा ने 15 अगस्त, 2023 को ये वीडियो कैप्चर किया।
इस बीच, चंद्रयान-3 ने शुक्रवार को एक और पड़ाव पार कर लिया. लैंडर मॉड्यूल ने सफलतापूर्वक डिबूस्टिंग ऑपरेशन किया. इसके बाद इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई. इसरो ने ट्वीट करके ये जानकारी दी. दूसरा डिबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त को 2 बजे होगा।
इसरो की ओर से शेयर की गईं तस्वीरों में 15 अगस्त को लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गईं तस्वीरें और 17 अगस्त को प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के ठीक बाद लैंडर इमेजर कैमरा-1 द्वारा ली गईं तस्वीरें शामिल हैं. इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हो गया था. लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं जो अब एक ऐसी कक्षा में उतरने के लिए तैयार हैं जिससे यह चांद की सतह के और करीब आ जाएगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को होगी.
बता दें कि 600 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को चांद के दक्षिणी ध्रुव तक की 41 दिन की यात्रा पर रवाना किया गया था. चंद्रयान-3 से पहले भेजा गया चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था. चंद्रयान-3 का उद्देश्य भी चंद्र सतह पर सुरक्षित साफ्ट लैंडिंग करने, चांद पर रोवर के घूमने और वैज्ञानिक प्रयोग करने का है।
चंद्रयान-1 मिशन 2008 में भेजा गया था. अगर चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।