भारत सरकार की हेल्थ स्कीम आयुष्मान भारत योजना में बड़ी खामियां हुई उजागर एक ही मोबाइल नंबर पर 7.5 लाख रजिस्ट्रेशन, जो मर गए वो भी हुए ठीक, आयुष्मान योजना में गड़बड़ियों पर CAG का बड़ा खुलासा।
कॉम्पट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) ने 'आयुष्मान भारत योजना' में हुई गड़बड़ियों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि किस तरह इस योजना के जरिए फर्जीवाड़ा हुआ है।
नई दिल्ली |भारत सरकार की हेल्थ स्कीम ‘आयुष्मान भारत योजना’ में बड़ा गड़ाबड़झाला हुआ है, सरकार के खर्चों का हिसाब करने वाली संस्था ‘कॉम्पट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया’ (CAG) ने इस योजना में हुई गड़बड़ियों को सामने रखा है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत करीब 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक ही फोन नंबर पर किया गया है. इसके अलावा एक और फोन नंबर है, जिस पर 1.39 लाख रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने निकलकर आई है कि इस योजना के तहत कई ऐसे लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जो रजिस्ट्रेशन के लिए योग्य नहीं हैं. इन लोगों ने योजना का लाभ भी उठाया है. CAG रिपोर्ट में बताया गया है कि रजिस्ट्रेशन के लिए योग्य नहीं रहने वाले लोगों ने 22 करोड़ रुपये का लाभ लिया है. जिन 7.5 लाख लाभार्थियों ने आयुष्मान भारत का लाभ उठाया है, उनका रजिस्ट्रेशन 9999999999 नंबर से किया गया. मंगलवार को संसद में CAG से जुड़ी रिपोर्ट रखी गई, जिसमें ये जानकारी मिली है।
मरे हुए लोगों को मिला योजना का लाभ
सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि रिपोर्ट में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों की क्वालिटी पर भी सवाल उठाया गया है. CAG रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि कुछ राज्यों में लाभार्थियों से अलग से पैसे भी वसूले गए हैं. 2017 से 2021 से बीच केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 2103 लाभार्थी ऐसे थे, जिनकी मौत हो चुकी थी, लेकिन तब भी उन्हें योजना का फायदा मिल रहा था. छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश ऐसे राज्ये थे, जहां इस तरह के सबसे ज्यादा केस रिपोर्ट किए गए हैं.
6.97 करोड़ का किया गया भुगतान
ऑडिट में सबसे बड़ी खामी ये उजागर हुई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था. लेकिन मरने के बाद भी वे इलाज कराते रहे. TMS में मृत्यु के मामलों के डेटा का विश्लेषण करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई,इन रोगियों के संबंध में नए इलाज से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त दावों में शामिल करीब 3,903 मामलों क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया. इनमें 3,446 मरीजों से संबंधित पेमेंट 6.97 करोड़ रुपये का था।
इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा धांधली
मरे हुए व्यक्तियों के इलाज का दावे करने के सबसे ज्यादा मामले देश के पांच राज्यों में देखने को मिले हैं. इनमें छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना किया जाना बड़ी चूक की तरफ इशारा करता है. ऑडिट में डेटा एनालाइज करते हुए ये भी पता चला कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती किया गया. जुलाई 2020 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी इस मुद्दे को उजागर किया था.
एनएचए ने कहा था कि ये मामले उन परिदृश्यों में सामने आते हैं जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है और मां की पीएमजेएवाई आईडी का उपयोग करके दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए ट्रांसफर कर दिया जाता है. लेकिन CAG की जांच में सामने आया है कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे पाए गए, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख, उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए अस्पताल में एंट्री की तारीख के बाद की थी. ऐसे मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं।
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना को 23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में लॉन्च किया. आयुष्मान भारत योजना दुनिया में सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम है. इसका मकसद हर परिवार को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर मुहैया कराना है. इस योजना के तहत 12 करोड़ गरीब परिवार आते हैं, जिनकी आबादी लगभग 55 करोड़ है. आयुष्मान योजना इस तरह से देश की आबादी का 40 फीसदी कवर करती है।