इस Paperless Green कोर्ट रूम की शुरुआत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट अब पूरी तरह से High Tech हो गया है,आधुनिक तकनीक के प्रयोग होने से न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन दस्तावेजों की भौतिक प्रतियों की जगह Paperless Green कोर्ट ने ले ली है। इसने एक Digital लाइब्रेरी कानून से संबंधित पुस्तकों की जगह ले ली है।
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट हुआ पेपरलेस, जजों के लिए शुरू हुई पॉप-अप स्क्रीन, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं
सुप्रीम कोर्ट में आज 3 जुलाई से पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत हो गई है. इस पेपरलेस कोर्ट रूम की शुरुआत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट अब पूरी तरह से हाईटेक हो गया है। अत्याधुनिक आधुनिक तकनीक के प्रयोग होने से न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन दस्तावेजों की भौतिक प्रतियों की जगह पेपरलेस ग्रीन कोर्ट ने ले ली है. अब ना फाइलें होंगी ना कोर्ट रूम में पिछले 50 सालों के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की किताबें यहां नजर आएंगी।
सुप्रीम कोर्ट में पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत हो गई है, अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग से न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन दस्तावेजों की भौतिक प्रतियों की जगह पेपरलेस ग्रीन कोर्ट ने ले ली, और एक डिजिटल लाइब्रेरी कानून ने संबंधित पुस्तकों की जगह ली है। 73 सालों के इतिहास में अब भारतीय न्यायपालिका के पूरी तरह हाईटेक होने की शुरुआत हो चुकी है। आधुनिक तकनीक धीरे-धीरे अन्य अदालतों में भी अपना रास्ता बनाएगी।
कक्षों में लगाए गए बड़े एलसीडी
सुप्रीम कोर्ट में इस हाईटेक शुरुआत को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है। भविष्यवादी अदालतों की शुरुआत हो गई है। इन अदालतों के कक्षों में बड़े एलसीडी लगाए गए हैं और वकीलों के लिए भी हाईटेक सुविधाएं शुरू की गई हैं। कम्प्यूटर के जरिए कागजात जजों को दिखाए जा सकेंगे। जज भी डिजिटल तरीके से विभिन्न फैसले देख सकेंगे।
स्मार्ट स्क्रीन से वकील पढ़ेंगे फ़ाइल और दस्तावेज़
कोर्ट 1 से 5 के अलावा कॉरिडोर, मीडिया रूम, वेटिंग रूम आदि में वादियों, वकीलों और मीडियाकर्मियों के लिए वाई फाई की शुरुआत की गई है।डॉक्यूमेंट्स तक आसान पहुंच के लिए जजों के पास दस्तावेज़ दर्शक तकनीक भी होगी, जिसके उपयोग से दस्तावेज़ को मशीन पर रखा जा सकता है और वकील अपनी स्क्रीन और बड़ी स्क्रीन पर भी देख सकते हैं। वकीलों के पास फ़ाइलें और दस्तावेज़ पढ़ने के लिए स्मार्ट स्क्रीन होंगी।