Breaking jabalpur : कभी भी खोले जा सकते हैं बरगी बांध के गेट,निचले क्षेत्र के रहवासियों को किया गया अलर्ट - Jai Bharat Express

Jai Bharat Express

Jaibharatexpress.com@gmail.com

Breaking

Breaking jabalpur : कभी भी खोले जा सकते हैं बरगी बांध के गेट,निचले क्षेत्र के रहवासियों को किया गया अलर्ट

बरगी जलाशय का जल स्तर रविवार 9 जुलाई की सुबह 8 बजे 416.25 मीटर और शाम 8 बजे 416.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया 




MP -जबलपुर |बारिश की वजह से जल स्तर में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुये रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना प्रशासन ने बरगी बांध के जल द्वारों को कभी भी खोले जाने की संभावना व्यक्त की है,परियोजना प्रशासन ने बांध के गेट खोले जाने की संभावनाओं को देखते हुए अलर्ट जारी कर निचले क्षेत्र में रहवासियों को नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्र एवं जलभराव वाले इलाकों से सुरक्षित और पर्याप्त दूरी बनाये रखने का आग्रह किया है।


रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना बायां मैसनरी बांध संभाग के कार्यपालन यंत्री अजय सूरे ने बताया कि बरगी जलाशय का जल स्तर रविवार 9 जुलाई की सुबह 8 बजे 416.25 मीटर और शाम 8 बजे 416.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। शाम 8 बजे की स्थिति में जलाशय में 3 हजार 500 घन मीटर प्रति सेकेंड वर्षा जल की आवक हो रही थी। श्री सूरे ने बताया कि बांध आपरेशनल मैन्युअल के अनुसार बरगी बांध का जल स्तर 31 जुलाई तक 417.50 मीटर रखा जाना निर्धारित है। जलग्रहण क्षेत्र में लगातार वर्षा जल की आवक जारी रही तो बांध का जलस्तर जल्दी ही 417.50 मीटर के ऊपर पहुंच सकता है और जल स्तर को नियंत्रित करने जलद्वारों को कभी भी खोला जा सकता है। रानी अवंतीबाई लोधी सागर (बरगी बांध) का पूर्ण जल भराव स्तर 422.76 मीटर है।


बरगी बांध की विस्तृत जानकारी


मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 प्रमुख बांधों की श्रृंखला में से पहले पूर्ण किए गए बांधों में से एक है।


[1] बरगी बांध द्वारा बरगी व्यपवर्तन परियोजना और रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना नाम की दो प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ विकसित की गई हैं। नर्मदा मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है, जो पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 1312 किमी है, जिसमें से 1072 किमी मध्य प्रदेश की भूमि में बहती है।

केंद्रीय जल और विद्युत आयोग ने 1968 में 2,980 वर्ग किलोमीटर में सिंचाई और 100 मेगावाट (2x45 मेगावाट + 2x5 मेगावाट) की जल विद्युत उत्पादन क्षमता के लिये इस बांध निर्माण के प्रस्ताव पर विचार किया,बाद में बरगी व्यपवर्तन परियोजना की योजना बनाई गई, जिससे कुल सिंचाई क्षमता बढ़कर 4,370 वर्ग किलोमीटर हो जाती।

[2] बांध निर्माण का काम 1974 में शुरू हुआ और 1990 में पूरा हुआ, जब यह बांध अपनी पूरी क्षमता से भर गया। हालाँकि प्रस्तावित बिजली उत्पादन 105 मेगावाट था, वर्तमान में इस जल विद्युत उत्पादन संयंत्र में केवल 90 मेगावाट बिजली उत्पन्न हो रही है।

[3] 45 मेगावाट की दो स्वतंत्र इकाइयाँ स्थापित की गई हैं और वे मुख्य रूप से सांयकाल के दौरान की जरूरते पुरा करती हैं।बांध की ऊंचाई 69 मीटर और लंबाई 5.4 किमी है। और इससे बनी एक झील, लगभग 75 किमी की लंबाई और 4.5 किमी चौड़ाई के साथ 267.97 वर्ग किमी पर फैली हुई है।


जबलपुर, मंडला और सिवनी जिले का गठन, बांध में पानी के 422.76 मीटर तक पहुंचने के बाद किया गया।