भोपाल की सीबीआई कोर्ट ने व्यापमं मामले में दो लोगों को 7-7 साल जेल व 10 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है, जबकि तीन अन्य अभ्यर्थियों के अनुपस्थित होने के कारण उन्हें फरार घोषित करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। मामला मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 से जुड़ा है।
क्या है व्यापमं घोटाला
व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है. इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए थे. कुछ लोगों की तो मौत हो गई, जबकि कुछ लोग सलाखों के पीछे है. अब हाईकोर्ट खुद इस मामले की जांच करवा रही है. व्यापम घोटाले में सरकारी नौकरियां घूस लेकर रेवड़ियों की तरह बांटी गई।
MP - भोपाल |व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है. इस घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए थे,बता दें की व्यापम के मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में दोषी दो आरोपियों को सीबीआई कोर्ट ने सात-सात साल की सजा सुनाई है। इसमें तीन परीक्षार्थियों ने अपनी जगह पर प्रतिरूपकों को बैठा कर परीक्षा पास की थी। कोर्ट ने प्रतिरूप अमित आलोक, सतीश मौर्य को सजा सुनाई है, वहीं, आरोपी परीक्षार्थी जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर एवं केशव सिंह बड़ेरिया के सजा सुनाने के दौरान अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें फरार घोषित किया साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश नीति राज सिंह सिसोदिया ने शुक्रवार को व्यापम प्रकरण में पांच आरोपीयों को दोषी पाया है। सीबीआई के लोक अभियोजक मनु उपाध्याय ने बताया कि व्यापम द्वारा वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 द्वितीय आयोजित की थी। जिसमें परीक्षार्थी जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर एवं केशव सिंह वडेरिया ने अपने स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए प्रतिरूपक क्रमश : अमित आलोक, सतीश मौर्य व अज्ञात को बिठाया था। जिसके परिणाम स्वरूप परीक्षार्थी जितेंद्र सिंह सेंगर, सत्येंद्र सिंह सेंगर एवं केशव सिंह वडेरिया परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए।
इस मामले में सीबीआई की जांच के दौरान दोनों प्रतिरूपको अमित आलोक एवं सतीश कुमार मौर्य को आरोपी बनाया गया था। कोर्ट ने तीनों अभ्यार्थी और दोनों प्रतिरूपको को दोषी पाया। तीनों अभ्यार्थियों के अनुपस्थित रहने के कारण दोनों प्रतिरूपको अमित आलोक एवं सतीश कुमार मौर्य को प्रतिरूपण,मूल्यवान प्रतिभूति के दस्तावेजों के कूटकरण, कूट रचित दस्तावेजों का बेईमानी पूर्वक असल के रूप में उपयोग में लाए जाने, छल और आपराधिक षड्यंत्र के लिए भारतीय दंड विधान की धारा 419, 420, 467, 468, एवं 471सहपठित धारा 120 बी भा.द.वि. तथा मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर सात-सात वर्ष का कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए का अर्थदंड से दंडित किया है।