कोर्ट ने कहा यह माना जाता है कि VRS लेने वाले कर्मचारी ऐसे लोगों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं जो कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और जिन्होंने लगातार काम किया है।
नई दिल्ली |सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 2 फरवरी को वीआरएस को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनायाहै, सर्वोच्च अदालत ने कहा है की सेवानिवृत्ति की तारीख से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारी सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होने वालों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं। शीर्ष न्यायालय की यह टिप्पणी बंबई उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान आई है।
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों ने दायर की थी, जिन्हें वेतनमान में संशोधन के लाभ से वंचित रखा गया था. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य वित्तीय निगम के वे कर्मचारी अलग स्थिति में हैं, जिन्होंने वीआरएस का लाभ लिया और सेवा को स्वेच्छा से छोड़ दिया।
VRS वाले नहीं कर सकते ये दावा
पीठ ने कहा यह माना जाता है कि वीआरएस लेने वाले कर्मचारी ऐसे लोगों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं जो कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं, वे उन लोगों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं, जिन्होंने लगातार काम किया, अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया और उसके बाद सेवानिवृत्त हुए न्यायालय ने कहा निश्चित रूप से वेतन संशोधन की सीमा क्या होनी चाहिए यह कार्यकारी नीति-निर्माण के क्षेत्र में आने वाला मामला है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया था बड़ा फैसला
इससे दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि वीआरएस लेने वाले कर्मचारी भी सरकारी विभाग में अनुबंध पर काम कर सकते हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि वीआरएस नियम सरकारी कर्मचारियों को अनुबंध/परामर्शदाता के रूप में नियुक्त करने में कोई बाधा नहीं बनेगा जस्टिस वी. कामेश्वर राव और अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने BSNL से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने वाले दो कर्मचारियों की याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है।