ED ने मारा छापा IAS के करीबियों के पास मिले कैश के ढेर, देखें Video
रांची| झारखंड की सीनियर आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल से जुड़े ठिकानों पर शुक्रवार को प्रदर्शन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की। ईडी अधिकारियों को उनके घर से 25 करोड़ रुपये कैस मिलने की जानकारी हैं, जिसे गिनने के लिए कई मशीनें लगानी पड़ी हैं। जानकारी के मुताबिक पूजा सिंघल के चार्टर अकाउंटेंट के ठिकाने पर भी भारी मात्रा में रकम मिली है। दावे के अनुसार झारखंड की राजधानी रांची स्थित उनके आवास पर ईडी ने छापेमारी में 25 करोड़ रुपये कैश बरामद किए हैं। छापेमारी की कार्रवाई इनके पति अविनाश झा उर्फ डॉक्टर अभिषेक झा के पुश्तैनी घरों और मौजूदा ठिकानों पर भी की गई है।
CM हेमंत सोरेन की भरोसेमंद अफसर मानी जाती हैं सिंघल
पूजा सिंघल अभी झारखंड की खनन और भूविज्ञान विभाग की सचिव हैं। वो झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड की एमडी भी हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे जुड़े बिहार और झारखंड के अलावा दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा,कोलकाता और राजस्थान तक के ठिकानों पर छापेमारी की है। सूचना के अनुसार रांची में इस मामले में कारोबारी अमित अग्रवाल के ठिकानों पर भी छापे डाले गए हैं। रांची में जिन ठिकानों पर ईडी के अफसर कार्रवाई के लिए पहुंचे हैं उनमें सिंघल के सरकारी आवास के अलावा पंचवटी रेसीडेंसी, चांदनी चौक के हरिओम टावर, पल्स अस्पताल बरियातू, लालपुर नई बिल्डिंग जैसे ठिकानें भी शामिल हैं। पल्स अस्पताल उनके पति चलाते हैं। पूजा सिंघल पर कार्रवाई इसलिए अहम है, क्योंकि वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भरोसेमंद अफसर मानी जाती हैं। सोरेन खुद खनन मंत्री हैं और अपने नाम से खदान के आवंटन की वजह से उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक रही है। जानकारी के मुताबिस सिंघर पर मनरेगा घोटाले के भी गंभीर आरोप हैं।
छापेमारी पर क्या बोले मुख्यमंत्री
राजधानी रांची ईडी की छापेमारी पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में कानून है, संविधान है. इससे बाहर कोई नहीं जा सकता. इसके बाहर जो जाता है, वो भुगतता है. हम डरने वाले नहीं हैं. केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये गीदड़ भभकी है. हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे. वो दिन दूर नहीं, जब पंचायत चुनाव में भी ये ईडी का उपयोग करेंगे. चिंता न करें, सरकार पूरी मजबूती से काम करेगीं,मैं विचलित नहीं हूं।
हेमंत ने कहा कि बीजेपी का हाल उस बच्चे जैसा है, जो खेल में हार के बाद अपना विकेट बॉल लेकर घर चला जाता है. चुनाव आयोग से पूछिए, उन्हें जल्दबाजी है. मैं क्यों बोलूं. हम अपवाद नहीं हैं. आज जो राजनीतिक परिभाषा बीजेपी गढ़ रही है, सही नहीं है. इनका उद्देश्य सब जानते हैं, बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग करती है।