30 जून से अमरनाथ यात्रा की हो रही है शुरुआत इस यात्रा पर सिर्फ वही श्रद्धालु ही जा पाएंगे जिनकी उम्र 16 से 65 साल के बीच की होगी।
नई दिल्ली|जम्मू कश्मीर के गवर्नर के दफ्तर की ओर से जानकारी दी गई है कि इस बार अमरनाथ यात्रा 43 दिनों तक चलेगी, यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कोरोना का पालन करना होगा।जम्मू कश्मीर के गवर्नर मनोज सिन्हा ने रविवार को अमरनाथ श्राइन बोर्ड के साथ यात्रा को लेकर बैठक की, इस बैठक और यात्रा की जानकारी देते हुए गवर्नर के दफ्तर की ओर से ट्विटर पर लिखा गया,
आज श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के साथ बैठक की गई, 43 दिन चलने वाली पवित्र तीर्थयात्रा 30 जून को सभी कोविड प्रोटोकॉल के साथ शुरू होगी, और परंपरा के अनुसार रक्षा बंधन के दिन समाप्त होगी, हमने आने वाले दिनों में होने वाली यात्रा के अलावा और भी कई अन्य मुद्दों पर गहराई से चर्चा की।दक्षिण कश्मीर स्थित हिमालयी क्षेत्र में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के दर्शन के लिए श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक की अध्यक्षता उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने की।
दो अप्रैल से शुरू होगा पंजीकरण
श्राइन बोर्ड की ओर से बताया गया कि यात्रा के लिए दो अप्रैल से पंजीकरण शुरू किया जाएगा। एक दिन में केवल 20 हजार लोगों का ही पंजीकरण किया जाएगा। इसके अलावा यात्रा के दौरान भी काउंटर पर जाकर पंजीकरण कराया जा सकेगा।
मेडिकल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है।
अमरनाथा यात्रा की गाइडलाइं के अनुसार इस यात्रा पर सिर्फ वही श्रद्धालु ही जा पाएंगे जिनकी उम्र 16 से 65 साल के बीच की होगी, अमरनाथ यात्रा 20222 के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है. इसके साथ ही यात्रियों को फिटनेस सर्टिफिकेट भी यात्रा के लिए जरूरी होगा,आपको बता दें कि अमरनाथ की यात्रा सभी धार्मिक यात्राओं में सभी कठिन यात्राओं में से एक है अमरनाथ की यात्रा की चढ़ाई दो रास्तों से गुजरती है,पहला रास्ता पहलगाम से होकर जाता है जबकि वहीं दूसरा रास्ता बालदाल से होकर जाता है. यह दोनों ही रास्ते हमेशा आतंकियों के निशाने पर होते हैं इसलिए सुरक्षा कि दृष्टि से यात्रा से पहले यहां सुरक्षा बलों की व्यापक तैनाती की जाती है।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हाल ही में इस बात की घोषणा की थी, श्राइन बोर्ड ने अप्रैल से ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पंजीकरण शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि दक्षिण कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र के तीर्थस्थल में तीर्थयात्रियों की आवाजाही के लिए आरएफआईडी आधारित ट्रैकिंग की जाएगी।