मंदिर से चोरी हुए शनि देव पुलिस ने आनन- फानन में पुजारी को थमाया दिए यमराज।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मूर्ति के एक हाथ में दंड और दूसरे हाथ में पांस है। यह भैंसा पर सवार है। 👇 video
न्याय के देवता शनि देव के भैंसा पर सवार होने का किसी भी धार्मिक ग्रंथ में उल्लेख नहीं है।
भिंड मध्य प्रदेश| जिला भिंड में एक घटना के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहा है।लहार के एक नवग्रह मंदिर से शनिदेव की मूर्ति चोरी हुई थी। लेकिन पुलिस ने शनिदेव की मूर्ती की जगह पर यमराज की मूर्ति बरामद की है। इस घटना के बाद मध्य प्रदेश पुलिस लोगों की हंसी का पात्र बन गई है। मूर्ति चोरी की घटना 21 जनवरी की है,लहार के भाटन ताल के पास नवग्रह मंदिर से कुछ अज्ञातों ने शनि देव की मूर्ति चोरी कर ली थी। भगवान की मूर्ति चोरी की खबर पुलिस को दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुजारी की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ चोरी की शिकायत दर्ज कर चोरों को ढूँढना शुरू कर दिया। हाल ही में लहार एसडीओपी अवनीश बंसल एक मूर्ति के साथ शनिदेव मंदिर पहुंचे। उन्होंने बताया कि ये मूर्ति रौन थाना इलाके के मणि जेतपुरा गांव के पास एक खेत से बरामद हुई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह वही मूर्ति है जो नवग्रह मंदिर से चोरी हुई थी।
चोरी हुए शनि देव की जगह मिले यमराज
मंदिर के पुजारी ने मूर्ति देखते ही इस बात से इनकार कर दिया, पुजारी ने कहा कि यह चोरी हुई शनि देव की मूर्ति नहीं है। लोगों ने जैसे ही पुलिस की लाई हुई मूर्ति देखी तो उनकी हंसी रूकने का नाम नहीं ले रही थी,पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे, पुलिस जिस मूर्ति को लेकर पहुंची थी, वह मूर्ती असल में शनि देव की थी ही नहीं, दरअसल पुलिस द्वारा बरामद की गई मूर्ति शनिदेव की नहीं बल्कि यमराज की थी, अब मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु इस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने के लिए तैयार नहीं हैं, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने के बाद इस मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
पुजारी का मंदिर में मूर्ति स्थापित करने से इनकार।
मूर्ति चोरी की ये घटना भिंड की है। नवग्रह मंदिर से शनिदेव भगवान की मूर्ति चोरी हुई थी, हैरान करने वाली बात ये है कि पुलिस जो मूर्ति लेकर पुजारी के पास पहुंची थी, वह शनिदेव की जगह यमराज की थी।पुलिस का कहना था कि यह वही मूर्ति है जो मंदिर से चोरी हुई थी, हालांकि पुजारी ने इस बात से इनकार कर दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मूर्ति के एक हाथ में दंड और दूसरे हाथ में पांस है। यह भैंसा पर सवार है। न्याय के देवता शनिदेव के भैंसा पर सवार होने का किसी भी धार्मिक ग्रंथ में उल्लेख नहीं है।