प्रतिबंधित थाइलैंड मांगुर मछली जप्त कर नष्ट की गई
जबलपुर |मछली पालन विभाग द्वारा परियट पनागर स्थित एक दुकान से प्रतिबंधित प्रजाति की थाइलैंड मांगुर मछली जप्त की गई है। जप्त की गई मछली की मात्रा 37 किलोग्राम है। विभाग द्वारा जप्त की गई मछली को समीप में ही गड्ढा खोदकर विनष्टीकरण किया गया।
सहायक संचालक मत्स्योद्योग सीआर कबीर के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा देश भर में कलेरियस गैरिपिनस (थाईलैंड मांगुर) प्रजाति की मछली के पालन और विक्रय को पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। एनजीटी द्वारा लगाये गये प्रतिबंध से समय-समय पर स्थानीय मत्स्य पालकों एवं विक्रेताओं को सूचित भी किया गया है।
सहायक संचालक मत्स्योद्योग ने बताया कि विभाग को आज बुधवार को राकेश कश्यप पिता श्री श्यामलाल उम्र 35 वर्ष निवासी फूटाताल जबलपुर की जगदम्बा धर्मकांटा परियट पनागर स्थित किराये की दुकान में प्रतिबंधित प्रजाति थाईलैंड मांगुर मछली बेचे जाने की सूचना मिली थी। विभाग के अमले द्वारा तत्काल कार्यवाही कर दुकान से 37 किलोग्राम मछली जप्त की गई और समीप स्थित भूमि में गवाहों के समक्ष गड्ढा खोदकर उसका विनष्टीकरण कराया गया।
मांगुर मछली हुई भारत में बैन
हाल ही में मांगुर मछली पर भारत में आयात, निर्यात और पालन पर रोक लगा दिया गया है।सबसे पहले इस मछली पर बैन केरल राज्य में लगाया गया था, उसके बाद यह 2000 में पूरे भारत में लागू कर दिया गया लेकिन प्रतिबंधित होने के बावजूद भी यह मछली बाजारों में रूप से बिक रही थी। लेकिन 22 जनवरी 2019 को सरकार ने पुनः व्यापक रूप में अभियान चलाकर इस पर रोक लगा दिया।
क्यों लगाया गया मांगुर मछली पर बैन
विदेशी थाई मांगुर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ मांसाहारी भी होती हैं यह मछली सड़े गले जानवर के मांस पानी में रहने वाली दूसरी मछलियों को भी खा जाती है कई जगहों पर यह देखा गया है कि यह मछली बत्तख या अन्य पानी में रहने वाले पशु के छोटे बच्चों तक को भी खा जाती है इन सबके साथ साथ इसमें पाए जाने वाले लेड और लोहा की प्रतिशत भी कारण था।
मांगुर मछली का परिचय
मांगुर का वैज्ञानिक नाम क्लेरियस गैरी पास है यह मछली किसी भी पानी में बहुत तेजी से विकसित होती है इसका आकार 3 से 4 महीने में चार से पांच केजी तक का हो जाता है यह मछली सस्ती भी बिकती है आकार में बहुत तेजी से वृद्धि होने के कारण इसके पालन करने वाले को बहुत फायदा होता है
मांगुर मछली के खाने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता हैं।
इस मछली के बैन होने का सबसे बड़ा कारण इस में पाए जाने वाला लीड और लोहे की प्रतिशतता है इसमें 80% लेड और लोहा पाया जाता है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता इसके सेवन करने से और भी बहुत सी बीमारियां होती हैं।