जबलपुर|बाल श्रम कानून नियंत्रण व्यवस्था हुई चौपट कुंभकर्ण की नींद सो रहे अधिकारी और कर्मचारी एक तरफ सरकार ये कहती है। कि बच्चों से काम करवाना अपराध है।तो दूसरी तरफ बाल श्रम कानून नियंत्रण अधिकारी कर्मचारी आंखे बंद कर आराम फरमा रहे है।बच्चो से काम पूरा और मेहनताना आधा देकर दुकानदार अपनी गल्ले की पेटी भर रहे है।यैसा ही एक नजारा बिलहरी मंडला रोड अमृत भोग मिष्ठान भंडार दुकान संचालक संतोष गुप्ता, आकाश गुप्ता, कि दुकान पर देखने को मिला जहां कम उम्र के बच्चो से काम करावाया जा रहा है। दुकान मे न जाने कितने ग्राहक आते है।मगर किसी का भी ध्यान इन बच्चो पर नहीं जाता खैर किसी को फर्क भी क्या पड़ता है। बच्चो को उनकी दिहाड़ी मिल जाती है।और दुकानदार को अच्छा खासा मुनाफा। बच्चो से काम कराना और उन्हे काम पर रखना कानून अपराध है।यह जानते हुए भी दुकान संचालकों को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता,अब देखना ये है की खबर दिखाये जाने के बाद शासन प्रशासन इन पर क्या कार्रवाई करता है।
बालश्रम और शोषण
बालश्रम, बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेता है और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलने देता।
बच्चों का काम स्कूल जाना है न कि मजदूरी करना। बाल मजदूरी बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेती है और वे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाते हैं।बाल मजदूरी शिक्षा में बहुत बड़ी रुकावट है, जिससे बच्चों के स्कूल जाने में उनकी उपस्थिति और प्रदर्शन पर खराब प्रभाव पड़ता है।
बाल मजदूरी तथा शोषण की निरंतर मौजूदगी से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है और इसके बच्चों पर गंभीर अल्पकालीन और दीर्घकालीन दुष्परिणाम होते हैं जैसे शिक्षा से वंचित हो जाना और उनका शारीरिक व मानसिक विकास ना होने देना।
बाल तस्करी भी बाल मजदूरी से ही जुड़ी है जिसमें हमेशा ही बच्चों का शोषण होता है। ऐसे बच्चों को शारीरिक, मानसिक, यौन तथा भावनात्मक सभी प्रकार के उत्पीड़न सहने पड़ते हैं जैसे बच्चों को वेश्यावृति की ओर जबरदस्ती धकेला जाता है, शादी के लिए मजबूर किया जाता है या गैर-कानूनी तरीके से गोद लिया जाता है, इनसे कम और बिना पैसे के मजदूरी कराना, घरों में नौकर या भिखारी बनाने पर मजबूर किया जाता है और यहां तक कि इनके हाथों में हथियार भी थमा दिए जाते हैं।