भोपाल| हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने की की तैयारी चल रही थी। मध्यप्रदेश शिवराज सरकार ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन रखने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था।मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की उपसचिव वंदना शर्मा की ओर से भेजे गए पत्र में अनुरोध किया गया था, कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखा जाए। पत्र में उल्लेख है कि 16 वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था, और गोंड राज सूरज सिंह शाह के बेटे निजामशाह का रानी कमलापति से विवाह हुआ था।
पत्र में लिखा गया है कि रानी कमलापति ने जीवनभर अत्यंत बहादुरी और वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया था। उनकी स्मृतियों को सहेजने और उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता के लिए राज्य सरकार ने भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम से रखने का निर्णय लिया है। केंद्र से अनुरोध है कि इस पर अविलंभ कार्यवाही की जाए।
कैसे पड़ा हबीबगंज नाम
रेलवे-स्टेशन का नाम हबीब मियां के नाम पर रखा गया,पहले इसका नाम शाहपुर हुआ करता था। साल 1979 में हबीब मियां ने रेलवे के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान पर दी थी, जिसके बाद इस रेलवे स्टेशन का नाम उनके नाम पर पड़ गया, और एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था, जिसके बाद हबीब और गंज को मिलाकर हबीबगंज नाम कर दिया गया।
हबीबगंज रेलवे स्टेशन पीपीपी मोड में बनने वाला पहला स्टेशन है।
देश के पहले निजी तौर पर विकसित रेलवे स्टेशन हबीबगंज के नये टर्मिनल का नया नाम रानी कमलापति के नाम पर होगा। नए रेल टर्मिनल का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी 15 नवंबर को करेगें। हबीबगंज रेलवे स्टेशन पीपीपी मोड में बनने वाला पहला स्टेशन है। करीब 100 करोड़ रुपये के लागत से बना ये टर्मिनल पर यात्रियों की सुविधा का विशेष ख्याल रखा गया है।
हबीबगंज स्टेशन की बात करे तो मॉडर्न अमेनिटी के भरपूर रेलवे स्टेशन 100 फीसदी दिव्यांग फ्रेंडली है, यात्रियों की सुविधा के लिए इसमें 8 लिफ्ट है, 12 एस्कलेटर लगे हुए है। पहली बार एयरपोर्ट के तर्ज पर 3 ट्रेवोलेटर लगे है। जिससे यात्री आराम में चल सकें।
स्टेशन से बाहर आने जाने के लिए 2 सब्वे विथ रैम्प, बनाये गए है। साथ में ऐसी रिटायरिंग रूम, डोरमेट्री, महिला और पुरुषों के लिए सेपरेट मेन्स एंड वूमेन लाउंज, वीआईपी लाउंज, बनाये गए है।