राजगढ़ में राष्ट्रगान के अपमान का मामला सामने आया है। राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्थानीय बीजेपी सांसद रोडमल नागर हैं।👇VIDEO
राजगढ़ |मध्य प्रदेश के राजगढ़ में राष्ट्रगान के अपमान का मामला सामने आया है। राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्थानीय बीजेपी सांसद रोडमल नागर हैं। दरअसल, एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान बजता रहा लेकिन राष्ट्रगान के सम्मान में बीजेपी सांसद खड़े नही हुये। वह कुर्सी से चिपके बैठे रहे। मामला राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के गांव गिलाखेड़ी का है। यहां एक कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल पहुंचे थे। स्थानीय सांसद होने के नाते रोडमल नागर भी मंच पर बैठे हुए थे। राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था। इस दौरान जब राष्ट्रगान की धुन बजने लगी तो राज्यपाल समेत मंच पर मौजूद सभी लोग और नीचे बैठे ग्रामीण सम्मान में खड़े हो गए।
लेकिन बीजेपी सांसद रोडमल नागर ने खड़ा होना उचित नहीं समझा और वे कुर्सी से चिपके ही रहे। जबकि उनके पैरों में कोई तकलीफ भी नहीं है। बल्कि कार्यक्रम के दौरान वे खड़े होकर काफी देर तक भाषण भी देते रहे। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा है कि नागर जी के इस कृत्य से हम शर्मिंदा हैं।मुझे दुख होता है कि मैं भी राजगढ़ का सांसद रहा हूं।
मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा है कि ये बीजेपी के लोग राष्ट्रविरोधी हैं। रोडमल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। राष्ट्रगान का अपमान बर्दाश्त के बाहर है। वायरल वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स भी बीजेपी सांसद को भला-बुरा बोल रहे हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि कथित राष्ट्रवादी पार्टी के नेताओं के लिए राष्ट्रवाद का पूरा खेल कुर्सी के लिए ही है।
जरूरी नहीं है राष्ट्रगान पर खड़े होना
राष्ट्रगान पर खड़े न होना अपराध नहीं, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की टिप्पणी
एक अहम फैसले में जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट ने माना है कि राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होने को राष्ट्रगान के लिए अनादर के रूप में तो माना जा सकता है लेकिन यह अपराध नहीं है।
अदालत ने जम्मू प्रांत में एक लेक्चरर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया था, जिस पर 2018 में एक कॉलेज समारोह में राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होने का आरोप लगाया गया था। जस्टिस संजीव कुमार की सिंगल बैंच ने कहा था, कि राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होना राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध नहीं है। अधिनियम की धारा 3 का हवाला देते हुए, जज ने कहा था, कि कानून केवल उस व्यक्ति के आचरण को दंडित करता है जो या तो राष्ट्रगान को गाने से रोकता है। या इस तरह का गायन कर रही किसी भी सभा में कोई गड़बड़ी पैदा करता है।
कोर्ट ने कहा था, इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि राष्ट्रगान बजते समय खड़े न होना या राष्ट्रगान के गायन में लगी हुई सभा में चुप रहना राष्ट्रगान के प्रति अनादर हो सकता है, लेकिन धारा 3 के तहत यह अपराध नहीं होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि राष्ट्रगान का सम्मान भारत के संविधान के तहत उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों में से एक है, लेकिन ये कर्तव्य कानून द्वारा लागू करने योग्य नहीं हैं, और न ही इस तरह के कर्तव्यों का उल्लंघन राज्य के किसी भी दंड कानून के तहत अपराध है।
अपने आदेश में, अदालत ने 2019 में भाजपा सांसद परवेश वर्मा द्वारा लाए गए एक निजी सदस्य विधेयक का भी उल्लेख किया जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि अधिनियम की धारा 3, जैसा कि वर्तमान में है, के तहत भारतीय राष्ट्रगान के “अनादर” को अपराध नहीं माना जा सकता है।
जज ने कहा, व्यक्ति अगर किसी को राष्ट्रगान गाने से रोकता है या इस तरह के गायन में लगी सभा में अशांति पैदा करता है तो ही इसे अपराध कहा जा सकता है।