देश भर में बीते दिनों से कोरोना (Coronavirus) का कहर बरपा हुआ है. हर जगह कोरोना वायरस (Coronavirus origin) ने तबाही मचा रखी है. वायरस के हमले से अभी तक 37 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा 17 करोड़ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. कोरोना वायरस चीन के वुहान से आया था. अब दुनियाभर के जितने भी वैज्ञानिक है, वो इस बहस में जुटे हैं कि क्या इस वायरस को लैब में तैयार किया गया? वैज्ञानिक टीम का दावा है कि वुहान की लैब में ही ये वायरस बना है. इस बात का शक अमेरिका को भी हो रहा है. इसकी जांच के आदेश अमेरिका के राष्ट्रपति ने दिए हैं.
अब अगला सवाल ये है कि आखिर वुहान की लैब की ओर कैसे इशारा कर रहे हैं. ये कहानी बहुत रोचक है. इसमें खास बात ये हैं कि इस बड़े दावे में भारत के तीन वैज्ञानिक भी है. इनमें से एक पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपति डॉ. राहुल बहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर हैं और एक रिसर्चर हैं, जिनका नाम नहीं बताया गया है.
कोरोना की रिसर्च में बनी टीम
बीते वर्ष मार्च से दुनिया भर के कई सारे वैज्ञानिक और रिसर्चर ने सोशल मीडिया पर एक टीम तैयार की और इसे DRASTIC नाम दिया. सुरक्षा कारणों को देखते हुए लोगों ने अपने नाम नहीं बताएं हैं. इस टीम के ही सदस्य हैं डॉ. राहुल बहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर. तीसरे रिसर्चर इस टीम के ‘सीकर’. उनका ये निक नेम है. एक दावे में कहा गया है कि ‘सिकर’ की उम्र 20 से 30 साल के बीच है और वो पूर्वी भारत में रहता है. वो आर्किटेक होने के साथ-साथ फिल्में भी बनाता है. इसके अलावा वो एक साइंस टीचर भी है. उन्हें चाइनीज़ भाषा का भी ज्ञान है.
इस तरह हुआ वुहान पर शक
रिसर्च में बताया गया कि असली लीड उनको चीन की एक रिसर्च थेसिस से मिली. साल 2012 का ज़िक्र था, जिसमें कहा गया था कि कैसे चमगादड़ के संक्रमण से एक खदान में सात लोग बीमार हो गए, जिसमें से तीन की बाद में मौत हो गई. इन सबमें ऐसे ही लक्षण थे जो कि साधारण तौर पर कोरोना के मरीज़ों में दिखाई देता है. खदान में इस बीमारी का खुलासा भारतीय रिसर्च ‘सिकर’ ने ही किया था. इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम इस थ्योरी पर करने लगी. और आज इस बात के सबूत मिलने के दावे किए जा रहे हैं .
वैज्ञानिकों ने कही ये बात
जांच के दौरान डॉ. राहलकर ने कहा कि वुहान में WIB और अन्य लैब वायरस पर प्रयोग कर रही थी. इन्हें इस बात का संदेह है कि चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के जीनोम में कुछ चेंजेस किए थे. ऐसे में हो सकता है कि इस प्रक्रिया के दौरान मौजूदा कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई हो. इसके साथ इनका ये भी दावा है कि अप्रैल 2020 में उन लोगों ने रिसर्च को शुरु किया फिर ये पाया गया कि SARS-CoV-2, RATG13 कोरोना वायरस को वुहान की लैब ने खदान से इकट्ठा किया है.