सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ‘‘अप्रत्याशित’’ चीनी आक्रामकता का सामना करते हुए देश की क्षेत्रीय अखंडता की खातिर एक साल पहले अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले 20 जवानों की बहादुरी की मंगलवार को प्रशंसा की।
सेना ने घातक झड़पों की पहली बरसी पर कहा कि जवानों का अत्यधिक ऊंचाई वाले ‘‘सबसे कठिन’’ इलाके में दुश्मन से लड़ते हुए दिया गया यह सर्वोच्च बलिदान राष्ट्र की स्मृति में ‘‘सदैव अंकित’’ रहेगा।
सेना ने ट्वीट किया, ‘‘जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना के सभी रैंक के अधिकारी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करते हुए लद्दाख की गलवान घाटी में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी वीरता राष्ट्र की स्मृति में ‘‘सदैव अंकित’’ रहेगी।’’
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बिंदुओं पर दोनों सेनाओं ने बल और भारी हथियार तैनात किए थे।
चीन ने फरवरी में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और जवान मारे गए थे, हालांकि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि मरने वालों की संख्या अधिक थी।
सेना की लेह स्थित 14 कोर ने भी हिंसक झड़पों की पहली बरसी पर ‘‘गलवान में शहीद हुए बहादुरों’’ को श्रद्धांजलि दी। इस कोर को ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से जाना जाता है।
सेना ने कहा, ‘‘20 भारतीय सैनिकों ने अप्रत्याशित चीनी आक्रमण का सामना करते हुए हमारी भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और पीएलए (जनमुक्ति सेना) को भारी नुकसान पहुंचाया।’’
‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के कार्यवाहक जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल आकाश कौशिक ने प्रतिष्ठित लेह युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करके शहीद नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी 14 कोर की है।
सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘देश उन वीर सैनिकों का हमेशा आभारी रहेगा, जिन्होंने अत्यधिक ऊंचाई वाले सबसे कठिन इलाकों में लड़ाई लड़ी और राष्ट्र की सेवा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।’’