देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने बच्चों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। पहले कहा जा रहा था कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है, लेकिन नई गाइडलाइन फिलहाल इसकी पुष्टि करती दिखाई नहीं दे रही है। दिल्ली के एम्स अस्पताल के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी स्पष्ट किया है कि वैश्विक या भारतीय स्तर पर बच्चों को लेकर ऐसा कोई डेटा नहीं है कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने ऐसे में बच्चों के लिए नई कोरोना गाइडलाइन जारी की है। इसमें कोरोना संक्रमित बच्चों को रेमडेसिविर इंजेक्शन देने की मनाही की गई है। बच्चों को स्टेरॉयड भी बेहद विवेक के साथ ही देने की सलाह दी गई है। कहा गया है कि जहां तक संभव हो बच्चों को स्टेरॉयड देने से बचा जाए।
स्टेरॉयड कोरोना के हल्के लक्षण वाले बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे मामलों में सेल्फ मेडिकेशन से बचने की सलाह दी गई है, जिसका मतलब है कि चिकित्सकीय परामर्श के बिना बच्चों को स्टेरॉयड बिल्कुल नहीं दिया जाए।
नई गाइडलाइन में बच्चों का सीटी स्कैन कराने से बचने की भी सलाह दी गई है। कहा गया है कि सीटी स्कैन तभी कराया जाए, जब यह बेहद जरूरी हो। कोरोना के कम लक्षण वाले बच्चों को एंटी माइक्रोबियल देने की भी मनाही की गई है। हालांकि गंभीर मामलों में एंटी माइक्रोबियल रिकमेंड किया जा सकता है।
दिया जा सकता है यह इलाज
नई गाइडलाइन में कहा गया है कि कोरोना के हल्के लक्षण वाले बच्चों को 10-15 एमजी पैरासिटामोल की डोज दी जा सकती है। इसे बुखार और गले में दर्द होने के हालात में हर चार से छह घंटे के अंतराल पर लिया जा सकता है। कफ होने पर बड़े बच्चों को गुनगुने पानी से गरारे करने की सलाह दी गई है। वहीं पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर 12 साल की उम्र से अधिक के बच्चों के लिए छह मिनट वॉक टेस्ट की सलाह दी गई है।