मध्यप्रदेश में 17 मई को रिकॉर्ड 69,454 सैंपल टेस्ट हुए। इसमें से 5412 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह संख्या पिछले 37 दिनों में सबसे कम है। संक्रमण की दर घट कर 8% पर आ गई है, जो 7 दिन पहले 13% से ज्यादा थी। इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह है सरकार की टेस्टिंग स्ट्रैटजी। सरकार रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) पर भरोसा दिखा रही है, जिस पर विशेषज्ञों को नहीं है।
सोमवार के आंकड़ों में प्रदेश में रैपिड एंटीजन और RT-PCR टेस्ट का अनुपात 59:41 हो गया है, जबकि गाइडलाइन के हिसाब से यह 30:70 का होना चाहिए। सरकार ने RT-PCR घटाकर रैपिड टेस्ट बढ़ा दिए हैं, जिसका 'रिकॉर्ड' अलग ही तरीके से दर्ज होता है।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि 11 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से कहा था कि वे सैंपल टेस्ट बढ़ाएं। इसके बाद से मध्यप्रदेश में कोरोना टेस्ट के आंकड़े हर दिन बढ़ते गए। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि 50% से ज्यादा रैपिड टेस्ट करने से अचानक पॉजिटिविटी रेट घटना शुरू हो गया। प्रदेश में 17 मई को 40,985 रैपिड एंटीजन टेस्ट हुए, जिसमें 1296 (3%) संक्रमित मिले। 28,559 RT-PCR में 14% सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
गाइडलाइन को किनारे रख कर टेस्टिंग जारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ICMR की गाडडलाइन के मुताबिक, रैपिड एंटीजन टेस्ट 30% से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले 7 दिन के आंकड़े देखें, तो एंटीजन टेस्ट 51 से बढ़कर 60% से तक हो रहे हैं यानी दोगुना मध्य प्रदेश में पिछले 7 दिन में अधिकतम सैंपल टेस्ट का रिकाॅर्ड भी है।