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COVID-19: कोरोना से बढ़ रही बीमारी black fungus को लेकर ICMR ने जारी किये दिशा-निर्देश, जानें इसके 10 लक्षण



कोरोना वायरस के ठीक हुए मरीजों में एक खतरनाक फंगल इन्फेक्शन म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) का खतरा बढ़ रहा है। दिल्ली समेत कई राज्यों में इसके मामले देखने को मिले हैं। इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

आईसीएमआर ने कहा है कि अगर इसकी देखभाल नहीं की जाती है तो यह घातक हो सकता है। इसके लक्षणों में आंखों और नाक के आसपास दर्द और लालिमा, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस की तकलीफ, खूनी उल्टी और परिवर्तित मानसिक स्थिति आदि हैं।

म्यूकोरमाइकोसिस क्या है?

इस बीमारी को पहले जाइगोमाइकोसिस (Zygomycosis) कहा जाता था। यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन होता है। आमतौर पर यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है। जो धीमे-धीमे आंखों तक फैल जाता है। इसका इंफेक्शन फैलते ही इलाज जरूरी है। अगर आपको नाक में सूजन या ज्यादा दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखने लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

यह संक्रमण आमतौर पर साइनस, मस्तिष्क या फेफड़ों को प्रभावित करता है और इसलिए सीओवीआईडी -19 से पीड़ित या ठीक होने वाले लोगों में काफी आम हो सकता है।

क्या करें

* हाइपरग्लाइसीमिया को नियंत्रित करें

* डायबिटीज और कोरोना से ठीक हुए मरीज ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल रखें

* स्टेरॉयड का सही तरीके से उपयोग करें - सही समय, सही खुराक और अंतराल का ध्यान रखें

* ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए साफ पानी का उपयोग करें

* एंटीबायोटिक्स / एंटीफंगल का इस्तेमाल सही तरीके से करें

क्या नहीं करें

* चेतावनी के संकेत और लक्षणों को नजरअंदाज न करें

* नाक जमने के सभी मामलों को बैक्टीरिया के साइनसाइटिस के मामलों के रूप में नहीं मानें, विशेष रूप से इम्युनोमोड्यूपरेशन या इम्युनोमोड्यूलेटर के मामले में

* फंगल एटियलजि का पता लगाने के लिए जांच करने में संकोच न करें

* श्लेष्मकला के लिए उपचार शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण समय न खोएं

म्यूकोरमाइकोसिस और कोरोना के बीच क्या संबंध है

SARS-COV-2 वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को टारगेट करता है। इन दोनों ही स्थितियों में इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। डॉक्टरों के अनुसार, कई कोरोना रोगियों को एंटीवायरल से लेकर स्टेरॉयड तक मजबूत दवाएं दी जाती हैं।

इसकी वजह से घातक वायरस से पीड़ित या उबरने वाले व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रणाली की दर कम हो गई है। इसके अतिरिक्त, स्टेरॉयड ब्लड ग्लूकोज लेवल को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही डायबिटीज से पीड़ित हैं। बदले में ये दवाएं फंगल संक्रमण के विकास को बढ़ावा देती हैं।

म्यूकोरमाइकोसिस से जुड़े लक्षण क्या हैं?

म्यूकोरमाइकोसिस आमतौर पर नाक, आंख, मस्तिष्क और साइनस जैसे हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इसके लावा इसके लक्षणों में चेहरे में सूजन, दर्द और सुन्नता, नाक से असामान्य (खूनी या काला-भूरा) डिस्चार्ज होना, सूजी हुई आंखें, नाक या साइनस में जमाव, नाक या मुंह के ऊपरी हिस्से पर काले घाव होना शामिल हैं। इसके अलावा इसके मरीजों को बुखार, खांसी, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।

किसे है इसका ज्यादा खतरा

यह फंगल संक्रमण आमतौर पर उन रोगियों में देखा जाता है जो कोरोना से ठीक हो गए हैं लेकिन डायबिटीज, किडनी या हार्ट फेलियर या कैंसर जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम वाले कोरोना के रोगियों को इस घातक संक्रमण का अधिक खतरा है।

म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज

इसके मरीजों को डॉक्टरों से मदद लेनी चाहिए। एंटिफंगल दवाओं से इसका इलाज हो सकता है। कोई भी दवा डॉक्टरों या किसी विशेषज्ञ की सलाह पर लें। गंभीर मामलों में डेड टिश्यू को हटाने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है।