पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों द्वारा बदले हुए नाम और लिंग से पासपोर्ट जारी नहीं करने से व्यथित ट्रांसजेंडर व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने उसके अनुरोध के अनुरूप बदलावों के साथ पासपोर्ट जारी करने का निर्देश देने की अदालत से गुहार लगाई है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर अपनी राय से आवगत कराने के लिए कहा है।
याचिका में दावा किया गया है कि उसका आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बदले हुए नाम और लिंग के साथ जारी किए गए हैं, लेकिन पासपोर्ट जारी नहीं किया जा रहा।
याचिका में कहा गया है कि याची का आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और यहां तक पैन कार्ड सहित सभी दस्तावेज दो दिसंबर 2019 को दाखिल हलफनामे के आधार पर बदलाव के साथ जारी किए गए हैं और याचिकाकर्ता उन्हीं बदलावों के साथ नया पासपोर्ट जारी होने की अर्हता रखती है जो उसके दस्तवेजों में हुए हैं।
याचिका के मुताबिक, याचिकाकर्ता का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था और बाद में उसने वर्ष 2019 में हलफनामे पर स्वघोषणा कर अपना लिंग बदलकर महिला कर लिया। याचिकाकार्ता ने पासपोर्ट नियमवाली-1980 के उक्त नियम को भी चुनौती दी है, जिसके मुताबिक नए पासपोर्ट के लिए अस्पताल से जारी लिंग परिवर्तन कराने का प्रमाणपत्र जमा कराना होता है।
वकील सिद्धार्थ सीम और ओइंड्रिला सेन के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र की आवश्यकता "अवैध और असंवैधानिक" थी और इसने कई ट्रांसजेंडर्स को अपने स्वयं के पहचान वाले लिंग को दर्शाने के लिए पासपोर्ट प्राप्त करने से रोका है। .
याचिकाकर्ता पहले ही बैंकॉक के एक विश्वसनीय डॉक्टर से फेशियल फेमिनाइजेशन सर्जरी करवा चुकी है। वह बैंकॉक में उसी डॉक्टर से अपनी बाकी लिंग पुनर्मूल्यांकन प्रक्रियाओं / सर्जरी से गुजरना चाहती है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में याचिकाकर्ता के पास पासपोर्ट नहीं है और इसलिए वह अपनी भविष्य की सर्जरी के लिए कहीं भी यात्रा करने में असमर्थ होगी।