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ब्लैक फंगस को पहचानें और तुरंत उपचार करायें मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए बना डेडिकेटेड वार्ड।


ब्लैक फंगस को पहचानें और तुरंत उपचार करायें मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए बना डेडिकेटेड वार्ड।

अब तक 30 मरीज हुए भर्ती, जांच व उपचार शुरू, 11 मरीजों की हुई सर्जरी, 5 मरीजों के आंखों की रोशनी आयी वापस।



जबलपुर
| कोविड-19 के संदिग्ध, पुष्ट या छुट्टी प्राप्त व्यक्तियों में ब्लैक फंगस म्यूकरमायकोसिस का संक्रमण बढ़ रहा है। इस बीमारी के उपचार के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है, जहां वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में ब्लैक फंगस के मरीजों की जांच व उपचार किया जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने बताया कि राज्य शासन के निर्देश पर मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर 20 को ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है। वर्तमान में वार्ड में 30 मरीज भर्ती हैं, जरूरत पडऩे पर वार्ड की क्षमता 37 बिस्तरों तक बढ़ाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि मरीजों की संख्या बढऩे पर एक और वार्ड ब्लैक फंगस के उपचार के लिए बनाये जाने की योजना है। वहीं मेडिकल कॉलेज के नाक, कान और गला रोग की विभागाध्यक्ष एवं वार्ड प्रभारी डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि अब तक यहां भर्ती 11 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है, जहां कुछ मरीजों के जबड़े के ऊपरी हिस्से की सर्जरी की गई, वहीं 4-5 मरीजों के आंख के पीछे से मवाद निकालने की सफल सर्जरी की गई। सुखद स्थिति यह रही कि अब इन सभी के आंखों की रोशनी भी वापस आ गई। डॉ. सचदेवा बताती हैं कि अभी मरीजों को सर्जरी के लिए यहां इंतजार नहीं करना पड़ रहा है।  प्रतिदिन दो से तीन मरीजों की सर्जरी की जा रही है। यहां जबलपुर के बाहर सिवनी और छतरपुर जिले तक से आकर मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। 

फंगस इंफेक्शन से जुड़ी यह बीमारी कोरोना मुक्त हुए, कमजोर इम्युनिटी वाले और मधुमेह से पीडि़त लोगों को होती है। बीमारी घातक है, लेकिन इससे डरने और घबराने की जरूरत नहीं है। इसकी तुरंत जांच करायें और विशेषज्ञ चिकित्सक से उपचार करायें। 

किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस होने पर बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए। ताकि बीमारी के लक्षणों को जल्द से जल्द पहचान कर इसका त्वरित उपचार शुरू हो सके।

इसके लक्षण इस प्रकार हैं- नाक, मुख और आंख आदि से काले कण अथवा काला रिसाव, नाक बंद होना, नाक के आसपास गालों की हड्डियों में दर्द, चेहरे में दर्द, सुन्नपन और सूजन, लगातार सिरदर्द, दांतों में दर्द और जड़ों से हिलना, जबड़े में दर्द, आंखों में दर्द के साथ धुंधला दिखना, आंखों और नाक के आसपास दर्द और लालपन, बुखार आना, शरीर में नील पडऩा, सीने में दर्द, सांस लेने में दर्द, फेंफड़े में पानी आना, खून की उल्टी होना, मुंह से बदबू आना, मानसिक भ्रम होना।

ये रखें सावधानियां- यह संक्रमण अनियंत्रित मधुमेह अथवा डायबिटीज रोगी, पूर्व से उपचार पा रहे श्वसन अथना गुर्दा रोग के रोगी, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण या इम्युनोसप्रेसिव के रोगियों में भी हो सकता है। समस्त कोविड संदिग्ध-पुष्ट रोगी अथवा डिस्चार्ज रोगियों में मधुमेह का उचित चिन्हांकन एवं नियंत्रण आवश्यक है। इसलिए कोविड-19 के उपचारित रोगी छ्ट्टी के बाद भी घर पर 4 से 6 सप्ताह तक नमक पानी के गरारे एवं नाक साफ करते रहें। 

नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था- ब्लैक फंगस के नि:शुल्क उपचार के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों में इकाइयों का गठन हो चुका है। इनमें मेडिसिन विभाग, नेत्र विभाग, न्यूरो सर्जरी विभाग एवं नाक, कान, गला विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं। काले फंगस के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करायें, सतर्कता में ही सुरक्षा है।


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