भोपाल। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में प्रदेशवासियों के जीवन को बचाने की मुहिम शुरू की गई है। लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) और प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश में खरीदी गई ऑक्सीजन (oxygen) के लिए भुगतान को लेकर अब आपदा राहत फंड (Disaster relief fund) से पैसा निकाला गया है। आपदा राहत फंड का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग अस्पताल और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज में भी होगा।
बता दें कि इस फंड को आरबीसी 6(4) के प्रावधान के तहत प्राकृतिक आपदा में राहत के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन प्रदेश में बिगड़ती लोगों की स्वास्थ्य और ऑक्सीजन की कमी सहित अन्य व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार इस फंड का उपयोग कोरोना की रोकथाम के लिए किया जाएगा।
बता दें कि बीते दिनों से आम जनता को राहत देने के लिए स्ट्रीट वेंडर के खाते में रुपए डाले गए थे। कोरोना में आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। प्रदेश सहित देश के आर्थिक कोष को देखते हुए अब आपदा राहत फंड का इस्तेमाल कोरोना की रोकथाम के लिए किया जा रहा है। लगातार बढ़ रहे मरीजों की संख्या के साथ उनके व्यवस्थाओं पर लगातार खर्चे बढ़ते नजर आ रहे हैं। जिसके लिए आपदा राहत फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए वित्त विभाग ने भी मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक अगले 3 महीने से फंड से पैसा खर्च किया जाएगा।
बता दें कि बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि प्रदेश की जनता के लिए किसी भी हाल में प्रदेश सरकार समझौता नहीं करेगी। वही कोविड केयर सेंटर और कमांड सेंटर बनाने के लिए 10 करोड़ से अधिक रुपए स्वास्थ विभाग द्वारा 3 महीने में मांगे गए हैं। जिसका इस्तेमाल भी इसी राहत फंड से किया जाएगा। विभाग का कहना है कि कोविड केयर सेंटर के लिए 7 और जिले में बने कोविड कमांड सेंटर के लिए साढ़े 3 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि आम जनों को राहत दी जा सके।
वही कोरोना काल में अलग-अलग अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था किए जाने को लेकर विभाग के बजट से अलग इन दोनों विभागों को 300 करोड़ पर दिए जा रहे हैं। जिसमें से स्वास्थ्य विभाग को 140 करोड़ और चिकित्सा शिक्षा को 142 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा से विभाग द्वारा कोरोना काल में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए बजट से अलग अतिरिक्त राशि मांगी गई थी। जिसकी आपूर्ति अब राहत कोष से की जा रही है। इसके अलावा 30 करोड़ रुपए का भुगतान विभिन्न राज्यों से मंगवाएं ऑक्सीजन के लिए किया जा रहा है।