नई दिल्ली: कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए जानलेवा बताया जा रहा है। अभी देश कोरोना की दूसरी लहर से उबर ही रहा है। वहीं इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय में 12-17 साल की आयु के बच्चों का तत्काल टीकाकरण कराने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसके साथ ही याचिका में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के माता-पिता के टीकाकरण को तरजीह देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
ये याचिका 12 वर्षीय टिया गुप्ता और 8 वर्षीय बच्चे को माँ रोमा रहेजा ने दाखिल की है। उन्होंने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि सरकारी अधिकारियों का दायित्व है कि वे बच्चों को माता-पिता या ऐसे अभिभावकों से बचाएं जो उन्हें कोरोना संक्रमण और मौत के करीब ला सकते हैं। याचिका में कहा गया है कि बच्चे भी वयस्कों की तरह ही मौलिक अधिकारों के हकदार हैं। राज्य इस महामारी के दौरान बच्चों की भेद्यता को पहचानने के लिए बाध्य है और इसके मुताबिक ही उनके लिए सभी उपयुक्त टीकाकरण उपाय करने के साथ ही अन्य निवारक चिकित्सा बुनियादी ढांचे के उपायों को सुनिश्चित करना उसका फर्ज है।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत का ध्यान इस बात पर आकर्षित किया है कि इस बात के प्रमाण थे कि जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ वो कोरोना के अधिक ताकतवर वैरिएंट का शिकार हो सकते हैं। ऐसा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सामने आया है। वाले बच्चों में एक नए, ज्यादा घातक COVID-19 उपभेदों को विकसित करने की अधिक संभावना थी जैसा कि दूसरी लहर में परिलक्षित हुआ था।