सिवनी | छपारा इलाके में बंजारी माता का मंदिर जंगलों के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग छपारा में विराजमान हैं। नवरात्र प्रारंभ होते ही जुटती है भीड़ मां भरती है झोली खाली होती है मुराद पूरी जो भी यात्री चाहे वह पैदल जा रहा हो या ट्रक, बस, कार आदि से सफर कर रहें हो बिना माता के दरबार में शीष झुकाए आगे नहीं बढ़ता है।
सिवनी से जबलपुर मार्ग पर छपारा तहसील से 8 किलोमीटर दूर जहां मुख्य मार्ग पर माता बंजारी का मंदिर स्थापित है। वैसे तो बंजारी माता के मंदिर हर शहर व जिले से बाहर निकलने वाले मार्गों पर मिलेंगे। बताया जाता है कि इन मंदिरों की स्थापना बंजारों द्वारा तब की गई थी। जब वे एक गांव से दूसरे गांव जाया करते थे। बीच में जंगल, घाटी होने पर दुर्घटनाओं से स्वयं व बंजारों को बचाने के लिए माता की स्थापना करते हुए चलते थे। इसलिए इन्हें बंजारी माता कहा जाता है। बंजारों के काल से चली आई यह परंपरा आज भी कायम है। इन मंदिरों में हर धर्म, जाति के लोग श्रद्धा भावों के साथ आकर शीष झुकाते हैं। ऐसी मान्यता है कि माता का आशीर्वाद लेकर घाटी, जंगल आदि से गुजरने पर वे दुर्घटना नहीं होने देंती है। और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। खासकर बारात व दुलहन की विदाई कराकर यहां से गुजरने वाले यात्री जरूर रुकते हैं और माता का आशीर्वाद दिलाने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।
नवरात्र प्रारम्भ होते ही नवदुर्गा की आराधना शुरू हो गयी हैं। देवी मंदिरो में दर्शनार्थियों का तांता लग रहा है।