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सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकारा, कहा- सोशल मीडिया पर मदद मांगने वालों पर कार्रवाई की तो मानेंगे अवमानना



भारत में कोरोना वायरस ने इस समय कहर बरपाया हुआ है। इसी संकट को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र की मोदी सरकार से कोरोना वायरस को लेकर नेशनल प्लान (National plan) मांगा। इसके साथ ही कोर्ट ने बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अदालन ने कहा कि सोशल मीडिया पर जो लोग अपनी परेशानियां लिख रहे हैं या जता रहे हैं, उनके साथ बुरा व्यवहार कताई नहीं होना चाहिए।

इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने कहा कि मैं यहां पर एक गंभीर विषय उठाना चाहता हूं, यदि कोई भी देश का नागरिक सोशल मीडिया (Social Media) या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर अपनी समस्या बताता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो गलत ही है। किसी भी तरह की जानकारी को कताई भी दबाया नहीं जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, अदालत (Court) ने टिप्पणी करते हुए कहा, देश के प्रतिएक राज्य को ये कड़ा संदेश जाना चाहिए कि यदि देश के किसी नागरिक पर मदद की गुहार लगाने के लिए कार्रवाई की गई तो उसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

कोई भी राज्य किसी भी तरह की जानकारी को नहीं दबा सकता है। अदालत का कहना है कि वर्तमान समय में हम राष्ट्रीय संकट की स्थिति में हैं। ऐसे में आम नागरिक को सुनना बेहद जरूरी है। जानकारी के लिए आपको बता दें कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हाल ही के दिनों में अमेठी (Amethi) में एक व्यक्ति पर अफवाह फैलाने का केस दर्ज किया गया था। व्यक्ति ने सोशल मीडिया के जरिए ऑक्सीजन की मदद मांगी थी, जबकि मरीज कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) नहीं था। इसके बाद व्यक्ति पर केस दर्ज किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा ये सवाल

खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अदालत में केंद्र की मोदी सरकार (Central Government) से पूछा कि जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है? भारत सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि प्रतिएक महीने 1.03 करोड़ रेमडेसिविर (Ramdesvir) उत्पादन की क्षमता की बात कही है। हालांकि, मोदी सरकार (Modi Government) की तरफ से सप्लाई, मांग का विवरण नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि मोदी सरकार को डॉक्टरों को कहना चाहिए कि वो इन दवाइयों के अलावा जो अन्य उपयोगी दवाएं हैं, उनके बारे में मरीजों को भी जरूर बताएं।