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हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, यमुना के 79 प्रतिशत प्रदूषण के लिए दिल्ली जिम्मेदार



 नई दिल्ली। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर आरोपों की बौछार कर दी। यह हलफनामा दिल्ली जल बोर्ड की ओर से हरियाणा सरकार के खिलाफ दायर उस याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जिसमें यमुना नदी में जा रहे असंसाधित प्रदूषकों और बड़ी मात्रा में अमोनिया को रोकने की मांग की गई थी। इसके अलावा डीजेबी ने अपनी याचिका में गर्मी के मौसम के बीच पानी की मांग बढ़ने पर हरियाणा सरकार की ओर से राष्ट्रीय राजधानी के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति की मांग की थी।


हरियाणा सरकार ने हलफनामे में कहा, "हरियाणा राज्य नदी के पानी में प्रदूषण को रोकने के लिए सभी संभव और जायज कदम उठा रहा है। हालांकि स्थिति दूसरे तरीके की है, क्योंकि यमुना नदी के पानी में 79 प्रतिशत प्रदूषण का कारण दिल्ली है।"

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 7 से लेकर 13 जनवरी, 2021 के दौरान यमुना नदी के पानी का नमूना लिया गया था, जिसमें यह पाया गया कि वजीराबाद के पल्ला में दिल्ली के संपर्क बिंदु से अमोनिकल नाइट्रोजन तेजी से बढ़ता है। यह पल्ला और वजीराबाद के बीच अनाधिकृत निर्वहन और वजीराबाद तालाब में तलछट के जमाव से अमोनिकल नाइट्रोजन के बढ़ने का संकेत देता है।

हलफनामे में कहा गया है कि वजीराबाद तालाब में बढ़ती तलछट का जमाव जो दक्षिण, पश्चिम, उत्तर और मध्य दिल्ली को पानी की आपूर्ति करता है, अमोनिया नाइट्रोजन के बढ़ने के लिए भी जिम्मेदार है।

हरियाणा सरकार की ओर से दायर हलफनामें में यह भी कहा गया है कि डीजेबी नदी के पानी में अमोनियम नाइट्रोजन की बढ़ती मात्रा से निपटने के लिए अपनी क्षमता में सुधार नहीं कर रहा है।

ॉवजीराबाद बैराज में पानी के स्तर में गिरावट के पहलू पर, हलफनामे में कहा गया है कि हरियाणा लगातार कैरियर लाइन्ड चैनल (सीएलसी) और दिल्ली उप-शाखा नहर के माध्यम से दिल्ली को पानी की आपूर्ति कर रहा है और दिल्ली में पानी के प्रबंधन और उपयोग के मामले में हरियाणा का कोई नियंत्रण नहीं है।

हरियाणा ने कहा कि वह पानी की कमी का सामना कर रहा है और उसने दिल्ली की ओर से अतिरिक्त पानी की गुहार को भी खारिज कर दिया, क्योंकि प्रदेश का दावा है कि दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति की गई है। हलफनामे में कहा गया है कि पानी की कमी हरियाणा राज्य की ओर से किसी कार्रवाई या निष्क्रियता के कारण नहीं बल्कि उनके (दिल्ली के) खुद के कुप्रबंधन के कारण है।

हलफनामे में दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण का भी हवाला दिया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दिल्ली 40 प्रतिशत तक पानी बर्बाद कर रही है। हलफनामे में कहा गया है कि वजीराबाद बैराज में पानी के स्तर में कमी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पानी के डायवर्जन के कारण है, जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं।