रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हवा से हवा में मार करने वाली पाइथन-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है और इसे स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के हथियारों में शामिल किया जायेगा।
इस सफल परीक्षण से तेजस में पहले से ही लगी हवा से हवा में मार करने वाली दृष्टि की सीमा से आगे तक मार करने वाली डर्बी मिसाइल की बढ़ी हुई क्षमता का आकलन करना भी था। गोवा में किये गये इस परीक्षण के दौरान मिसाइल ने बेहद चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। इस दौरान कई परीक्षणों की श्रंखला सफलातपूर्वक पूरी की गयी।
डर्बी मिसाइल ने तेज गति वाले हवाई लक्ष्य पर सीधा प्रहार करने में सफलता हासिल की और पाइथन मिसाइलों ने अचूक निशाना साधा जिससे उनकी क्षमता का सत्यापन हुआ। इन परीक्षणों ने अपने सभी निर्धारित लक्ष्यों तथा उद्देश्यों को पूरा किया।
इन परीक्षणों से पहले तेजस में लगी एवियोनिक्स, फायर-कंट्रोल रडार, मिसाइल वेपन डिलीवरी सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जैसे विमान पण्रालियों के साथ इस मिसाइल के समन्वय का आकलन करने के लिए बेंगलुरु में मिसाइल ढुलाई में सक्षम उड़ानों का व्यापक परीक्षण किया गया था।
गोवा में सफल परीक्षणों के बाद काल्पनिक लक्ष्य पर मिसाइल का सजीव प्रक्षेपण किया गया। सभी पहलुओं के साथ-साथ दृश्य सीमाओं से परे लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता का आकलन करने के लिए पाइथन-5 मिसाइल के लाइव फायरिंग का आयोजन किया गया था। सभी लाइव फायरिंग में, इस मिसाइल ने अपने हवाई लक्ष्यों को मार गिराया।
इन मिसाइलों को नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर (एनएफटीसी) से संबद्ध भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के टेस्ट पायलटों द्वारा उड़ाए गए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के तेजस विमान से दागा गया था। यह सफल आयोजन सीईएमआईएलएसी, डीजी - एक्यूए, आईएएफ पीएमटी, एनपीओ और आईएनएस हंसा के सहयोग के साथ-साथ एडीए और एचएएल-एआरडीसी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम के वर्षों की कड़ी मेहनत की वजह से संभव हुआ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एडीए, वायु सेना, एचएएल की टीमों और इस परीक्षण में शामिल सभी लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने विभिन्न संगठनों और उद्योग के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के प्रयासों की सराहना की।