रक्षा अनुसंधान एवं विकास (डीआरडीओ) ने पिछले एक साल में 28 सफल परीक्षण किए गए हैं। डीआरडीओ द्वारा प्रमुख हथियारों और अन्य सिस्टमस (प्रणालियों) को सशस्त्र बलों को सौंप दिया गया है।
बता दें कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास एक अनुसंधान और विकास संगठन है। डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित की गई सभी प्रणालियां भारतीय इंडस्ट्रीज द्वारा निर्मित की जाती हैं, जिनमें सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की इकाइयां शामिल हैं।
पिछले एक साल के दौरान इस तरह के सहयोग से विकसित किए गए कुछ सिस्टम इस प्रकार हैं:- एडवांस टोवेड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), एक्सटेंडेड रेंज पिनाका सिस्टम और गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम, 10 मीटर शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम, इंडियन मैरीटाइम सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्टम (IMSAS), हेवी वेट टॉरपीडो (HWT) वरुणास्त्र, बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (BOSS) और अर्जुन एमके -1 ए आदि।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि डीआरडीओ के कई विदेशी सहयोगी हैं। डीआरडीओ कुछ विदेशी देशों के साथ मिलकर भविष्य के अनुसंधान (रिसर्च) और विकास तथा प्रौद्योगिकी विकास में काम करता है।
डीआरडीओ ने जी-टू-जी फ़ोरम की सह-अध्यक्षता की
* भारत-यूएसए संयुक्त प्रौद्योगिकी ग्रुप
* भारत-इज़राइल मैनेजमेंट काउंसिल
* भारत-रूस अनुसंधान एवं विकास उपसमूह
* भारत-सिंगापुर रक्षा प्रौद्योगिकी संचालन समिति
* भारत-ब्रिटेन संचालन समिति
* भारत-कोरिया संचालन समिति
पीआईबी के मुताबिक, यह जानकारी आज लोकसभा में रीता बहुगुणा जोशी द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक द्वारा दी गई। जानकारी के लिए आपको बता दें कि पनडुब्बी निर्माण में भारत ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए स्वदेशी फ्यूल आधारित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली तैयार की है। जिससे एक लंबे समय तक सबमरीन समंदर में रह सकती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास (डीआरडीओ) की महाराष्ट्र स्थित एनआरएमएल लैब ने इस एआईपी को तैयार किया है।