बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसे कई सितारे हैं जिन्होंने विलेन का किरदार निभाया है और आज भी कई फिल्मों नें उन विलेन को याद किया जाता है. फिल्मों में विलेन का किदार निभाने वाले एक्टर से अक्सर दर्शक नफरत करने लगते हैं क्योंकि फिल्म में वो दर्शकों के हिरो या हिरोइन को तंग करते दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे विलेन भी हैं जिनके निगेटिव रोल्स को देखने के बाद दर्शक उनपर प्यार लुटाते नज़र आए थे. हम इस स्टोरी में ऐसे ही एक विलेन की बात कर रहे हैं, जिनको फैन्स 'मोगैम्बो' के नाम से जानते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं अमरीश पुरी की. जिन्होंने अपने करियर में हिरो से ज्यादा विलेन का रोल निभाया है.
अमरीश पुरी ने तीन दशको तक फिल्मों में काम किया है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो अमरीश पुरी ने फिल्मों में आने से पहले 20 साल तक एक बीमा कंपनी में काम किया था. उन्होंने दो दशक की नौकरी को अपने बॉलीवुड प्रेम के चलते छोड़ दी और वह हीरो बनने मुंबई पहुंच गए. मुंबई में आने के बाद जब अमरिश निर्माताओं से मिले तो उनका ये कहना था कि उनका चेहरा हीरो की तरह नहीं दिखता है.
निर्माताओं की ये बात सुनकर अमरिश पुरी काफी निराश हुए थे और फिर उसके बाद एक्टर ने थिएटर ज्वॉइन कर लिया था. इस दौरान उन्होंने लेखक और निर्देशक सत्यदेव दुबे के सहायक के तौर पर काम किया. इसके बाद उन्होंने साल 1970 में 'रेश्मा और शेरा' में रोल मिला, जोकि 1971 में रिलीज हुई. फिल्म में उनका किरदार रहमत खान का था. उनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.