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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, ललित मोदी की जमीन समेत 281 करोड़ की संपत्ति कुर्क



 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एनसीआर स्थित कई रियल एस्टेट कंपनियों की 281.42 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की, जिसमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी भी शामिल हैं. ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई है, जो हरियाणा में अवैध रूप से अधिग्रहित की गई जमीन से जुड़ा है. आरोप है कि ये धोखाधड़ी वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों की कथित मिलीभगत से हुई है.

कई किसानों और भूस्वामियों के साथ कथित रूप से इस मामले में लगभग 1,500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है, जिसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपी हैं. ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गुरुग्राम भूमि घोटाले के सिलसिले में विभिन्न आरोपी संस्थाओं और उनके सहयोगियों की 281.42 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है.

अधिकारी ने कहा कि राजस्थान के बहरोड़ और नीमराणा में 95.09 बीघा कृषि भूमि ललित मोदी से संबंधित है, जिसकी कीमत 13.31 करोड़ रुपए है. अधिकारी ने कहा कि वित्तीय जांच एजेंसी ने डोव इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के एक प्रोजेक्ट का 54 प्रतिशत कुर्क किया है, जो कि फरीदाबाद में अतुल बंसल या उनकी समूह की कंपनियों से संबंधित है, जिसकी कीमत 108.86 करोड़ रुपए है.

उन्होंने कहा कि सेराटिम लैंड एंड हाउसिंग प्राइवेट के नाम पर बिजनेस बे प्रोजेक्ट का 50 प्रतिशत कुर्क किया गया है, जो कि बंसल या उनकी समूह की कंपनियों से संबंधित था और इसकी कीमत 78.09 करोड़ रुपए आंकी गई है. ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया था. साथ ही ये आरोप लगाया गया है कि शुरू में हरियाणा सरकार ने एक औद्योगिक मॉडल टाउनशिप स्थापित करने के लिए लगभग 912 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत एक अधिसूचना जारी की.

आरोप है कि इसके बाद सभी प्लॉट को निजी बिल्डर्स द्वारा जमीन के मालिकों से कथित रूप से कम दामों पर हड़प लिया गया. 27 अगस्त 2004 को इनेलो सरकार ने गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर की 912 एकड़ जमीन पर आईएमटी बनाने के लिए सेक्शन-4 का नोटिस जारी किया था. इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आईएमटी रद्द कर 25 अगस्त, 2005 को सार्वजनिक कामों के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए सेक्शन-6 का नोटिस जारी कराया. ये मुआवजा 25 लाख रुपए एकड़ तय हुआ.

अवॉर्ड के लिए सेक्शन-9 का नोटिस भी जारी हुआ, पर इससे पहले बिल्डर्स ने कथित तौर पर किसानों को अधिग्रहण का डर दिखा 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली. साल 2007 में बिल्डर्स की 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर दी गई, जिससे किसानों को करीब 1500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.