उत्तराखंड में वन विभाग अपने दफ्तरों में प्लास्टिक के फर्नीचर का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा, बल्कि इसकी जगह केवल बांस से बने फर्नीचरों का इस्तेमाल किया जाएगा. एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने बांस उद्योग को पुनर्जीवित करने और बांस के उत्पादन को बढ़ाने के मकसद से यह कदम उठाया है. अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड वन मंत्री हरक सिंह ने बताया कि बांस को रोजगार का बेहतर जरिया माना जाता है, जिसको देखते हुए राज्य में बांस उत्पादन को मिशन मोड में शुरू किया जा रहा है.
राज्य में वन विभाग अलग-अलग तरह के बांस की नर्सरियों को तैयार करेगा और लोगों को इसके पौध की सप्लाई करेगा. इस अभियान के जरिये कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएं भी शुरू की जाएंगी. मंत्री ने कहा कि वन विभाग में प्लास्टिक के फर्नीचर के उपयोग पर रोक लगा दी गई है. यह भी कोशिश की जाएगी कि अघिकतर बांस से बने फर्नीचर का उपयोग ही किया जाएगा. बैठक में प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे.
गौरतलब है कि उत्तराखंड के जंगलों में आग बड़ी समस्या के रूप देखी जाती है. हर साल जंगल में आज लगने से जंगली जानवरों की भी मौत होती है. राज्य में फायर सीजन 15 फरवरी से शुुुरू हो रहा है. संरक्षित वन क्षेत्र में आग लगने से रोकने के लिए 9.64 करोड़ का बजट रखा गया है.
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए टनल के अंदर राहत और बचाव अभियान चलाया जा रहा है. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता नहीं है, मलबे में अब बड़े बोल्डर भी दिखने लगे हैं.
ITBP ने बताया ''जो मलबा अंदर फंसा हुआ था अब वो ज़्यादा बाहर निकलकर आ रहा है. NTPC के टेक्निकल एक्सपर्ट का कहना है कि अब किसी का भी अंदर जाना रिस्की है क्योंकि अंदर से पानी का तेज़ बहाव हो सकता है. तो अब मशीनों द्वारा ही मलबा निकाला जाएगा.