भारतीय सेना को उसकी 100वीं K9 वज्र तोप मिल गई है. जनरण एमएम नरवण ने सूरत में इसे हरी झंडी दिखाकर भारतीये सेना में शामिल है. एलएंडटी कंपनी द्वारा भारतीय सेना को सौंपी गई इन तोपों का निर्माण भारत में ही किया गया है.
के-9 वज्र-टी, एक स्वचलित तोप है. 50 टन वजनी इस तोप की मारक क्षमता 28-38 किमी तक है. यह किसी भी दिशा में वार कर सकती है. नरवणे ने सूरत के हज़ीरा में लार्सन एंड टूब्रो के कॉम्प्लेक्स में इस तोप को हरी झंडी दिखाकर भारतीय सेना में शामिल किया. यह पहली ऐसी तोप है जिसे भारतीय प्राइवेट सेक्टर ने बनाया है.
दरअसल 2017 में एलएंडटी कंपनी और रक्षा मंत्रालय में 4500 करोड़ का करार हुआ था जिसके तहत कंपनी ने सेना के लिए इस तरह की 100 तोप उपलब्ध कराई हैं. एलएंडटी ने साउथ कोरिया की हान्वा टेकविन के साथ मिलकर गुजरात के हजीरा प्लांट में यह तोप बनाई है.
बात करें इसकी खासियत की तो यह तोप जीरो रेडियस में घूम सकती है यानि इसे घूमने के लिए जगह नहीं चाहिए. सेल्फ प्रोपेल्ड K-9 Vajra-T की मारक क्षमता 28-38 किलोमीटर है. यह विस्फोट मोड में 30 सेकेंड में तीन राउंड गोलाबारी कर सकती है. इंटेंस मोड में तीन मिनट में 15 राउंड और सस्टेंड मोड में 60 मिनट में 60 राउंड गोलाबारी करने में समर्थ है.
इन तोपों को शामिल किए जाने से पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना की आग्नेयास्त्र की क्षमता को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.” K-9 Vajra-T हर मिनट एक राउंड फायर कर सकती है. K-9 Vajra-T एक ऐसी बख्तरबंद तोप है, जो पलक झपकते ही एक ठिकाने पर हमला करने के बाद दूसरी जगह पर अटैक कर सकती है.