जबलपुर | सड़क और कचरे के ढेर पर पड़ी पन्नियों को बेचकर शहर में जीवन यापन कर रहे संदीप बर्मन का कल शाम गाँव पहुँचने पर जोरदार स्वागत किया गया । पता चला है कि संदीप करीब तेरह साल बाद अपने गाँव पाटन तहसील के कोनी कलां पहुँचा है ।
पन्द्रह साल की कम आयु में ही किसी बात पर गुस्सा होकर मुंबई चले गये संदीप के बारे में गाँव वालों को बस इतनी ही जानकारी थी कि वो घर छोड़कर कहीं चला गया है । माता-पिता ने भी ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका । कल जब एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई उसकी तस्वीर को संज्ञान में लेकर कलेक्टर कर्म वीर शर्मा द्वारा संदीप को कलेक्ट्रेट बुलाकर समझाईश दी गई । तब कहीं वो वापस अपने घर जाने को तैयार हुआ ।
कलेक्टर श्री शर्मा के निर्देश पर संदीप को जिला रेडक्रॉस सोसायटी के वाहन से उसके गांव कोनी कलाँ भेजने की तत्काल व्यवस्था की गई । शाम को घर पहुँचने पर ग्राम वासियों ने उसका जोरदार स्वागत किया । हालांकि उस समय उसके माता- पिता गांव से बाहर रिश्तेदारी में गये हुये थे । वर्षों बाद घर वापसी पर अपने लोगों के बीच पहुँचा संदीप भी भावुक हो गया और उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े ।
बता दें की कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संदीप को उसके गाँव वापस भेजने के साथ-साथ उसे मनरेगा के तहत आसपास चल रहे निर्माण कार्यों में काम उपलब्ध कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये हैं ।