नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के एक पुलिस कांस्टेबल को बहाल करने के आदेश को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मियों के आचरण पर शासन का भरोसा होना जरूरी है। हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी रहे लेकिन बाद में बरी हो गए इस पूर्व पुलिसकर्मी को बहाल करने का आदेश सरकार को दिया था। शीर्ष न्यायालय ने कहा, आपराधिक मामले से बरी होने का मतलब यह नहीं है कि आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रक्रिया भी खत्म हो गई।
आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ गलत आचरण का गंभीर मामला चल रहा था, जिसमें दोषी पाए जाने पर सरकार ने कांस्टेबल की सेवा समाप्त कर दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई राजस्थान सरकार की याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
मामले में कांस्टेबल जब छुट्टी पर था, तभी उस पर हत्या का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, विभाग की अनुशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया आपराधिक मामले की तरह सिर्फ सुबूतों के आधार पर नहीं चलती, बल्कि इसमें जायज संदेह को भी कार्रवाई का आधार बनाया जाता है। अगर इस तरह के दागी कर्मचारी वापस सेवा में आएंगे तो जनता में पुलिस बल के प्रति विश्वास की भावना में कमी आएगी। इस टिप्पणी के साथ पीठ ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।