अमेरिका ने चीन को ताइवान को लेकर चेतावनी दी है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने बुधवार को चीन को आगाह किया कि वो ताइवान का बलपूर्वक विलय करने की कोशिश बिल्कुल ना करे. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ताइवान में हमला करना बेहद मुश्किल साबित होगा. उन्होंने कहा कि इस बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है कि अमेरिका इसका जवाब कैसे देगा.
चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक हु शिजिन ने इसी सप्ताह एक लेख में लिखा था कि अगर ताइवान अमेरिका के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करता है तो चीन को पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए. चीन किसी भी देश के ताइवान के साथ स्वतंत्र तौर पर संबंध स्थापित करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताता रहा है.
अमेरिकी अधिकारी ओ ब्रायन ने यूनिवर्सिटी ऑफ नेवाडा के एक कार्यक्रम में कहा, दूसरे विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी का मुकाबला करने के लिए जिस तरह से जर्मनी तैयारी कर रहा था, वैसे ही चीन भी नौसेना को मजबूत करने में लगा हुआ है.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा, समस्या ये है कि आइलैंड के बीच पर लैंडिंग बहुत ही मुश्किल होती है. ओ ब्रायन ने कहा, चीन और ताइवान के बीच 160 किमी की दूरी है. ताइवान पर हमला करना चीन के लिए आसान काम नहीं है.
चीन ताइवान के नजदीक लगातार सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है. अमेरिकी अधिकारी से सवाल किया गया कि अगर चीन स्वशासित ताइवान को सैन्य तरीके से अपने में मिलाने का फैसला करता है तो अमेरिका क्या करेगा? अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इसे लेकर अभी साफ तौर कुछ नहीं कहा जा सकता है. अमेरिका ताइवान को अपनी सुरक्षा करने के लिए हथियार उपलब्ध कराता रहा है. हालांकि, उसने ये कभी स्पष्ट नहीं किया है कि चीन के हमले की स्थिति में वो सैन्य तरीके से दखल देगा या नहीं.
ब्रायन ने ताइवान से मांग की कि वो अपना रक्षा बजट बढ़ाए और सैन्य सुधार लाने की कोशिश करे ताकि चीन की तरफ से होने वाले किसी हमले को रोका जा सके. ताइवान अपने रक्षा खर्च पर अपनी जीडीपी का सिर्फ 1.2 फीसदी ही खर्च करता है. अमेरिकी अधिकारी ने कहा, आप सिर्फ जीडीपी का एक फीसदी रक्षा पर नहीं खर्च कर सकते हैं. ब्रायन ने कहा कि आप इस तरह से पिछले 70 साल से अपनी सैन्य क्षमता का विस्तार कर रहे चीन से मुकाबला करने की उम्मीद नहीं रख सकते हैं.
अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने भी मंगलवार को ताइवान के अगले साल तक रक्षा क्षेत्र पर 1.4 अरब डॉलर खर्च करने की योजना को अपर्याप्त करार दिया था. उन्होंने कहा था कि ताइवान को क्रूज मिसाइल, नैवल माइन्स और फास्ट अटैक क्राफ्ट, मोबाइल आर्टिलरी और सर्विलांस सिस्टम में और ज्यादा निवेश करने की जरूरत है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से जापान दौरे में भी ताइवान पर चीनी हमले को लेकर अमेरिका की रणनीति पर सवाल किया गया. पोम्पियो ने अपने जवाब में कहा कि अमेरिका सुरक्षा के हर क्षेत्र में अच्छा सहयोगी बनेगा.
माइक पोम्पियो ने कहा, हमें ये समझ में आ गया है कि तुष्टीकरण से समाधान नहीं हो सकता है. अगर कोई एक बार झुकता है तो चीन की कम्युनिस्ट सरकार एक कदम आगे बढ़ा देती है. ऐसा जारी रहा तो हर किसी को चीन के सामने घुटने टेकने होंगे.