नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से राज्यों को हुई क्षतिपूर्ति के लिए 2 विकल्प दिए गए हैं। वित्त मत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री के मुताबिक राज्यों को इन विकल्पों पर विचार के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। पहले विकल्प में राज्यों को रिजर्व बैंक के साथ चर्चा के बाद खास दरों पर 97000 करोड़ रुपये के लिए एक स्पेशल विंडो दी जाएगी । ये पैसा सेस के कलेक्शन के द्वारा 5 साल के बाद वापस दिया जा सकेगा।वहीं दूसरे विकल्प में जीएसटी क्षतिपूर्ति का अंतर जो कि 2.35 लाख करोड़ रुपये का है, राज्य रिजर्व बैंक से चर्चा कर खुद पूरा कर सकते हैं।
बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि वो अगले 7 दिन में इन विकल्पों पर विचार करें और वापस वित्त मंत्रालय को अपने फैसले की जानकारी दें। ये विकल्प सिर्फ इस साल के लिए ही हैं, अगले साल एक बाऱ फिर स्थिति की समीक्षा की जाएगी और अर्थव्यवस्था के लिए जो भी बेहतर होगा वो कदम उठाया जाएगा। वहीं वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि पहले विकल्प में दो स्तर होंगे, जिसमें केंद्र राज्यों को रिजर्व बैंक से कर्ज का एक हिस्सा पाने में मदद करेगा। वहीं एफआरबीएम एक्ट के तहत राज्यों की कर्ज लेने की सीमा में 0.5 फीसदी की और छूट दी जाएगी। वहीं वित्त मंत्री ने कहा कि अगर हर राज्य कर्ज लेने के लिए बाजार की तरफ दौडेगा तो इससे गलत परिणाम हो सकते है। इसलिए मुश्किल से निकलने के लिए रिजर्व बैंक से मदद लेने का फैसला लिया गया है।
वित्त मंत्री ने साफ कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति में अंतर से निपटना अकेले केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है। केंद्र और राज्यों को मिलकर इससे निपटना होगा। वहीं वित्त सचिव ने जानकारी दी कि जुटाए गए सेस की मदद से कर्ज और ब्याज का भुगतान छठे साल से शुरू होगा। ऐसे में राज्यों पर कोई भार नहीं पड़ेगा