बिजनेस टुडे के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों ने कहा है- 'भारत सरकार ने हमें विशेष निर्माण प्राथमिकता लाइसेंस दिया है. इसके तहत हमने ट्रायल प्रोटोकॉल के प्रोसेस को फास्ट कर दिया है ताकि ट्रायल 58 दिनों में पूरा हो जाए. इसके तहत फाइनल फेज (तीसरा चरण) में ट्रायल का पहला डोज शनिवार से दिया गया है. दूसरा डोज 29 दिनों के बाद दिया जाएगा.
फाइनल ट्रायल डेटा दूसरा डोज दिए जाने के 15 दिनों के बाद आएगा. इस अवधि के बाद हम कोविशील्ड को बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं.' इससे पहले इस वैक्सीन का ट्रायल पूरा होने में लंबा वक्त लगने की बात कही जा रही थी. बिजनेस टुडे के मुताबिक, देश के 17 सेंटरों पर 1600 लोगों के बीच यह ट्रायल शुरू हुआ है. हर सेंटर पर करीब 100 वोलेंटियर हैं. बता दें कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.
स्वास्थ्य मंत्री बोले- साल के अंत तक वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी कहा है कि हमारी एक कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है. उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस साल के अंत तक वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री जिस वैक्सीन के बारे में बता रहे हैं वो कोविशिल्ड ही है. सीरम इंस्टिट्यूट ने एस्ट्राजेनका नामक कंपनी के साथ एक एक्सक्लूसिव अग्रीमेंट कर अधिकार खरीदे हैं ताकि इसे भारत और 92 अन्य देशों में बेचा जा सके. इसके बदले में सीरम इंस्टिट्यूट कंपनी को रॉयल्टी फीस देगी.
भारतीयों को कोरोना का टीका मुफ्त
केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वो सीरम इंस्टीट्यूट से सीधे कोविशिल्ड वैक्सीन खरीदेगी और भारतीयों को कोरोना का टीका मुफ्त में लगाएगी. भारत सरकार जून 2022 तक पुणे की इस कंपनी से 68 करोड़ वैक्सीन खरीदेगी. भारत सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण मिशन के तहत देशवासियों को मुफ्त टीका लगाएगी.
बता दें कि भारत की आबादी इस वक्त लगभग 130 करोड़ है. सीरम से 68 करोड़ डोज खरीदने के बाद वैक्सीन की बाकी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जा रही कोवैक्सीन और निजी फार्मा कंपनी जायडस कैडिला द्वारा बनायी जा रही वैक्सीन का ऑर्डर दे सकती है, बशर्ते इन कंपनियों का कोरोना वैक्सीन का ट्रायल सफल रहे. भारत बायोटेक के सीएमडी कृष्णा एल्ला ने कहा है कि वैक्सीन की सुरक्षा और क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए इसके निर्माण में किसी तरह का शॉर्ट कट नहीं अपनाया जाएगा.