रूस | रूस के आर्कटिक क्षेत्र में जोरदार धमाके के बाद कुछ गहरे गड्ढे बन गए है. इन्हें देखकर लोग हैरान हैं और वैज्ञानिक परेशान. क्योंकि ये कोई सामान्य गड्ढे नहीं है. ऐसा लगता है कि ये गड्ढे आपको सीधे पाताल ले जाएंगे. क्योकि ये 165 फीट गहरे हैं. इनका व्यास भी कई फीट ज्यादा है. विस्फोट से बने इन गड्ढों को लेकर कई तरह की कहानियां चल रही है. कोई कह रहा है कि रूस ने मिसाइल परीक्षण किया है, कोई कह रहा है कि एलियंस के स्पेस शिप यहां से निकले होंगे या उन्होंने हमला किया होगा.
पिछले छह साल में साइबेरिया, रूस के आर्कटिक क्षेत्रों में ऐसे 17 गड्ढे देखे गए हैं. जबकि, ये इलाका पर्माफ्रॉस्ट कहलाता है. यानी ऐसी धरती जहां कि मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक शून्य डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर रही हो. पर्माफ्रॉस्ट में खुदाई करना पत्थर तोड़ने की तरह होता है. इसके लिए अक्सर भारी औज़ारों की ज़रुरत होती है. लेकिन यहां एक विस्फोट से इतने बड़े गडढे बन गए, मिट्टी और उनपर जमी बर्फ कई फीट ऊपर तक उड़ गईं.
इन नए गड्ढों को यमल प्रायद्वीप में काम करने वाले टीवी चैनल वेस्ती यमल टीवी के मीडियाकर्मियों ने एक हवाई यात्रा के दौरान देखा. बाद में उस जगह पहुंचे और लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि एक धमाकेदार आवाज के साथ ये गड्ढे बने थे. इसके बाद यहां पर वैज्ञानिकों की टीम पहुंची उन्होंने इन गड्ढ़ों की जांच की. 165 फीट गहरा गड्ढा अब तक का सबसे बड़ा और गहरा गड्ढा है.
पिछले छह साल में साइबेरिया, रूस के आर्कटिक क्षेत्रों में ऐसे 17 गड्ढे देखे गए हैं. जबकि, ये इलाका पर्माफ्रॉस्ट कहलाता है. यानी ऐसी धरती जहां कि मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक शून्य डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर रही हो. पर्माफ्रॉस्ट में खुदाई करना पत्थर तोड़ने की तरह होता है. इसके लिए अक्सर भारी औज़ारों की ज़रुरत होती है. लेकिन यहां एक विस्फोट से इतने बड़े गडढे बन गए, मिट्टी और उनपर जमी बर्फ कई फीट ऊपर तक उड़ गईं.
इन नए गड्ढों को यमल प्रायद्वीप में काम करने वाले टीवी चैनल वेस्ती यमल टीवी के मीडियाकर्मियों ने एक हवाई यात्रा के दौरान देखा. बाद में उस जगह पहुंचे और लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि एक धमाकेदार आवाज के साथ ये गड्ढे बने थे. इसके बाद यहां पर वैज्ञानिकों की टीम पहुंची उन्होंने इन गड्ढ़ों की जांच की. 165 फीट गहरा गड्ढा अब तक का सबसे बड़ा और गहरा गड्ढा है.