नई दिल्ली । देश में कई राज्यों में तेज बारिश और बाढ़ ने वहां के और शहरों से गांव पहुंचे मजदूरों की हालत खराब कर रखी है। मौजूदा समय में राज्यों को मनरेगा के काम भी बंद करने पड़ रहे हैं। आलम ये है कि कई मजदूर अब वापस शहर भी आना चाहते हैं लेकिन इन हालात में ये संभव नहीं हो पा रहा है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीनों में मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी बनकर उभरा था। साथ ही शहरों से गांव पहुंचे कामगारों के लिए भी काफी मददगार रहा। आंकड़ों के मुताबिक करीब 91 करोड़ मानवदिवस का काम केवल दो महीनों में हुआ जो रिकॉर्ड है। यही नहीं 3.22 लाख परिवार ऐसे रहे हैं जिन्हें 100 दिन से ज्यादा का काम मिला है। लेकिन अब हालात बिगड़ने लगे हैं। तेज बारिश और कई राज्यों में बाढ़ के चलते मुश्किल आनी शुरू हो गई है। बिहार में तो काम करीब करीब बंद होने की कगार पर है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने देश के 13 बड़े राज्यों के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुतबिक सरकार की तरफ से चिन्हित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना जिलों में 3 में से 1 परिवार को ही 30 दिन का काम मिल पा रहा है। बिहार में सरकार की तरफ से मॉनसून के दौरान मनरेगा मजदूरों के लिए कामकाज की योजना का खाका न होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।ओखला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी वाई सी जैन ने बताया है कि मॉनसून के चलते काम न होने के कारण मजदूर वापस शहर आना चाहते हैं। लेकिन बस ट्रेन की समुचित व्यवस्था न होने की वजह से उनका लौटना संभन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि इनमें से कई तो ऐसे लोग हैं जो खास काम में माहिर हैं उनकी जगह नए मजदूर ढूढ़ना भी दिक्कत भरा है। उम्मीद है कि अगले महीने तक हालात सुधरेंगे।काम किया लेकिन पेमेंट नहींयही नहीं कई राज्यों में मजदूर भ्रष्टाचार का भी शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में मनरेगा का मस्टर रोल समय से तैयार नहीं हो रहा है। कई मामलों में तो ये काम पूरा हो जाने के बाद तैयार किया जाता है। ऐसे में जब पेमेंट की बारी आती है तो जिन मजदूरों ने काम किया होता है उनका नाम ही मस्टर रोल से गायब रहता है। ये मुश्किल उत्तर प्रदेश में भी मजदूरों को झेलनी पड़ रही है। यहां भी असली मजदूरों के नाम मस्टर रोल में दर्ज ना होने के मामले देखे गए हैं। जिससे काम के बाद भी उन्हें पेमेंट नहीं मिल पाती है। साथ ही आधार आधारित पेमेंट के भी किसी दूसरे खाते में जानी की शिकायतें भी मिली हैं।