केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि भारत में गंभीर रूप से थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की सबसे बड़ी संख्या है। इन्हें नियमित रूप से रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। देश में 10 से 15 हजार बच्चों में हर साल रक्त विकार पैदा होता है।
हर्षवर्धन ने ब्लड बैंक मुख्यालय में थैलेसीमिया स्क्रीनिंग और परामर्श केंद्र के उद्घाटन पर इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के काम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल हमें इस बीमारी की रोकथाम के लिए आम लोगों को शिक्षित करने में सक्षम बनाएगी।
दुनिया में लगभग 27 करोड़ थैलेसीमिया के मरीज हैं। भारत में थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की सबसे बड़ी संख्या है। जो लगभग 1 से 1.5 लाख है। ऐसे बच्चों के लिए उपलब्ध एकमात्र इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (बीएमटी) है। लेकिन, बीमारी से ग्रस्त बच्चों के माता पिता के लिए यह कठिन है।
सस्ता भी नहीं है। उपचार का मुख्य आधार बार-बार होने वाला रक्त संक्रमण है। हर्षवर्धन ने कहा कि आईआरसीएस की यह पहल बीमारी से ग्रस्त बच्चों को पर्याप्त चिकित्सा प्रदान करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगी।