नई दिल्ली: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उत्सव में मनाया जाता है. हिंदू धर्म के मुताबिक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2020) के सरूप में मनाया जाता है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 11 और 12 अगस्त 2020 को मनाई जाएगी. कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है. अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अन्त समय के आधार पर कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत दो सम्पूर्ण दिनों तक प्रचलित हो सकता है. हिन्दु ग्रन्थ के अनुसार, जो श्रद्धालु-जन लगातार दो दिनों तक व्रत करने में समर्थ नहीं है, वो जन्माष्टमी के अगले दिन ही सूर्योदय के पश्चात व्रत को तोड़ सकते हैं.
कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2020 subh muhurat)शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 11, 2020 को 09:06 ए एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – अगस्त 12, 2020 को 11:16 ए एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – अगस्त 12, 2020 को 11:16 ए एम बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 13, 2020 को 03:27 ए एम बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – अगस्त 14, 2020 को 05:22 ए एम बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – अगस्त 14, 2020 को 05:22 ए एम बजे
कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2020 puja vidhi) पूजा की विधि
स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है. पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं. इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें. भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद कृष्ण आरती गाएं.
स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है. पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं. इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें. भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद कृष्ण आरती गाएं.