नई दिल्ली:
अयोध्या (Ayodhya) में राममंदिर (Ram Mandir) के भूमिपूजन (Bhoomi Pujan) को लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है. दुनिभाभर की मीडिया ने इसे प्रमुखता दी है. विदेशी मीडिया ने राममंदिर का जिक्र करते हुए बाबरी मस्जिद का मुद्दा भी उठाया. अमेरिकी न्यूज साइट सीएनएन ने कहा कि देश में फैले कोरोनावायरस के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया. सीएनएन ने लिखा कि मोदी ने हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थान पर राम मंदिर का भूमि पूजन किया. यह जगह सालों से हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाद का जड़ रही है.
पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने लिखा कि राम मंदिर का शिलान्यास दरअसल भारत के बदल रहे संविधान का शिलान्यास है. डॉन ने लिखा कि बाबरी मस्जिद की जगह पर हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया गया। इस जगह पर करीब 500 सालों से बाबरी मस्जिद थी. मोदी के आलोचक मानते हैं कि यह सेक्युलर भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का एक और कदम है. भारत के सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के पूर्व अध्यक्ष प्रताप भानु मेहता के हवाले से डॉन ने लिखा - राम मंदिर का शिलान्यास एक तरह से अलग प्रकार के भारतीय संविधान का शिलान्यास है. यह इस बात को बताता है कि भारत का मौलिक संवैधानिक ढांचा बदल रहा है.
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने लिखा कि अयोध्या में दिवाली तीन महीने पहले ही आ गई है. शहर में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है. दशकों से यह भारतीय इतिहास का सबसे भावनात्मक और विभाजनकारी मुद्दा रहा है. भगवान राम हिंदुओं में सबसे ज्यादा पूजनीय हैं. उनका मंदिर बनना बहुत से हिंदुओं के लिए गर्व का क्षण है. लेकिन, भारतीय मुसलमानों के मन में दो तरह की भावनाएं हैं. एक तो उनकी मस्जिद के जाने का दु:ख है जो 400 सालों से वहां खड़ी थी. दूसरा- उन्होंने मंदिर निर्माण पर अपनी मौन सहमति भी दे दी है.